उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़के साम्प्रदायिक दंगों के मामले में दिल्ली पुलिस ने कथित मानव अधिकार कार्यकर्ता एवं पूर्व छात्र नेता उमर खालिद के खिलाफ अदालत में आरोपपत्र (चार्जशीट) दाखिल किया है। पुलिस ने आरोपपत्र में बताया है कि दो सम्प्रदायों के बीच वैमन्षय फैलाने एवं दंगे कराने में उमर खालिद ने 'आग में घी' का काम किया। उसने देश विरोधी बयानबाजी की। इन दंगों मे 53 लोगों को अपनी जान से हाथ गंवाना पड़ा, जबकि दो सौ से ज्यादा लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए।
कड़कड़डूमा अदालत में दाखिल 100 पन्नों के आरोपपत्र में पुलिस ने कहा है कि उमर खालिद, खालिद सैफी व 'आप' के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन ने शाहीन बाग में 8 जनवरी 2020 को मुलाकात की और वहां दंगों की साजिश रची। इन लोगों ने शाहीन बाग में उसी जगह पर मुलाकात की जहां एक समुदाय विशेष की महिलाओं ने दिसंबर 2019 से लेकर मार्च 2020 तक नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ धरना दिया था।
उमर खालिद पर आरोप है कि इसी दौरान उसने मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार व महाराष्ट्र में उस-उस जगह धरना प्रदर्शन में हिस्सा लिया, जहां नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन चल रहा था। पुलिस के मुताबकि इन जगहों पर जाने व वहां ठहरने व इन धरना प्रर्दशन में शामिल होने की अन्य व्यवस्था पर मोटी रकम खर्च की गई, जोकि आरोपी के पास उपलब्ध नहीं थी।
उमर खालिद का यह खर्च उठाने को लेकर पुलिस के पास पुख्ता साक्ष्य हैं। पुलिस ने आरोपपत्र में यह भी कहा है कि इन दंगों की साजिश महीना भर पहले ही रच ली गई थी। इसके लिए बकायदा बाहर से रकम आई थी, जोकि ताहिर हुसैन व अन्य के खाते में पहुंची थी। इसी प्रक्रिया के तहत दक्षिणी दिल्ली में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों के साथ पुलिस की भिंड़त भी हुई थी। इसमें बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी व अन्य जख्मी हुए थे