केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के मुद्दों को हल करने के लिए किसान संघ के प्रतिनिधि और केंद्रीय मंत्री शुक्रवार यानी आज फिर मिलेंगे। दोनों दल विज्ञान भवन में ग्यारहवें दौर की चर्चा के लिए मिलेंगे। तीनों कृषि कानून को लेकर पिछले दस दौरे की चर्चाओं में कोई हल नहीं निकला। किसान इन कानूनों को निरस्त करने की मांग करते हैं।
पिछली बैठक में केंद्र ने 18 महीने के लिए कृषि कानूनों को लागू करने और मुद्दों को देखने के लिए एक समिति नियुक्त करने का प्रस्ताव रखा। किसान संघ के प्रतिनिधियों ने गुरुवार को सरकार की ओर से पेश किए गए प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उनकी मांग कानूनों को खारिज करने की बनी हुई है।
वे दिल्ली के आउटर रिंग रोड में एक ट्रैक्टर रैली आयोजित करने की अनुमति के संबंध में दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के साथ चर्चा करेंगे। किसान संगठनों ने बृहस्पतिवार को तीन कृषि कानूनों के क्रियान्वयन को डेढ़ साल तक स्थगित रखने और समाधान का रास्ता निकालने के लिए एक समिति के गठन संबंधी केन्द्र सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया।
संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वावधान में किसान नेताओं ने सरकार के इस प्रस्ताव पर सिंघू बॉर्डर पर एक मैराथन बैठक में यह फैसला लिया। इसी मोर्चा के बैनर तले कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर किसान संगठन पिछले लगभग दो महीने से आंदोलन कर रहे हैं। किसान नेता दर्शन पाल की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ''संयुक्त किसान मोर्चा की आम सभा में सरकार द्वारा रखे गए प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया।
उन्होंने कहा, ''आम सभा में तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को पूरी तरह रद्द करने और सभी किसानों के लिए सभी फसलों पर लाभदायक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए एक कानून बनाने की बात, इस आंदोलन की मुख्य मांगों के रूप में दोहराई गयी।