बिना जोश के आज तक कभी भी महान कार्य नहीं हुए...

तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा। बिना जोश के आज तक कभी भी महान कार्य नहीं हुए। ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं। आज हमारे अंदर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए, मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके। इन विचारों से पूरे देश को नई ऊर्जा देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारत के उन महान स्वतंत्रता सेनानियों में शुमार होते हैं जिनसे आज के दौर का युवा वर्ग प्रेरणा लेता है। उनके द्वारा दिया गया जय हिन्द का नारा पूरे देश का राष्ट्रीय नारा बन गया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अपने विचारों से लाखों लोगों को प्रेरित किया। 

उन्होंने भारत के लिए पूर्ण स्वराज का सपना देखा। जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद वह भारत की आजादी की लड़ाई में कूद पड़े। नेताजी का मानना था कि अंग्रेजों को भारत से खदेड़ने के लिए सशक्त क्रांति की आवश्यकता है। आजाद हिंद फौज का गठन कर उन्होंने अंग्रेजी सेना को खुली चुनौती दी। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने जापान के सहयोग से आजाद हिन्द फौज का गठन किया। उन्होंने आजाद हिंद फौज को संबोधित करते हुए दिल्ली चलो का नारा दिया। गांधीजी को राष्ट्रपिता कहकर सुभाष चंद्र बोस ने ही संबोधित किया था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर में एक रेडियो संदेश प्रसारित करते हुए महात्मा गांधी को पहली बार 'राष्ट्रपिता' कहकर संबोधित किया था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने पोर्ट ब्लेयर की सेल्युलर जेल में पहली बार तिरंगा फहराया था। नेताजी बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने आजादी की जंग में शामिल होने के लिए भारतीय सिविल सेवा की नौकरी ठुकरा दी।