नए कृषि कानून को लेकर किसान संगठनों और सरकार के बीच मंगलवार को होने वाली बैठक टाल दी गई है। कृषि मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक किसान संगठनों और सरकार के बीच बैठक अब 19 जनवरी की बजाय 20 जनवरी को दोपहर 2 बजे विज्ञान भवन में होगी। सरकार और प्रदर्शनकारी 41 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच मंगलवार दोपहर 12 बजे 10वें दौर की बातचीत प्रस्तावित थी। बता दें कि नए कृषि कानून को लेकर सरकार और किसान संगठन के बीच अभी तक हुई नौ बार बातचीत हो चुकी है लेकिन कोई हल नहीं निकल पाया है।
एन कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच अगले दौर की बातचीत से पहले सरकार ने सोमवार को कहा कि दोनों पक्ष मामले का जल्द समाधान चाहते हैं लेकिन अलग विचारधारा के लोगों की संलिप्तता की वजह से इसमें देरी हो रही है। सरकार ने यह दावा किया कि नये कृषि कानून किसानों के हित में हैं और कहा कि जब भी कोई अच्छा कदम उठाया जाता है तो इसमें अड़चनें आती हैं। सरकार ने कहा कि मामले को सुलझाने में देरी इसलिए हो रही है क्योंकि किसान नेता अपने हिसाब से समाधान चाहते हैं।
सुप्रीम कोर्ट इस मामले को सुलझाने के मकसद से गठित समिति भी मंगलवार को अपनी पहली बैठक करेगी। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री परषोत्तम रूपाला ने पीटीआई-भाषा से कहा, जब किसान हमसे सीधी बात करते हैं तो अलग बात होती है लेकिन जब इसमें नेता शामिल हो जाते हैं, अड़चनें सामने आती हैं। अगर किसानों से सीधी वार्ता होती तो जल्दी समाधान हो सकता था।
उन्होंने कहा कि चूंकि विभिन्न विचारधारा के लोग इस आंदोलन में प्रवेश कर गए हैं, इसलिए वे अपने तरीके से समाधान चाहते हैं। उन्होंने कहा, दोनों पक्ष समाधान चाहते हैं लेकिन दोनों के अलग-अलग विचार हैं। इसलिए विलंब हो रहा है। कोई न कोई समाधान जरूर निकलेगा।
बता दें कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों के किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर पिछले लगभग 50 दिनों से तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने इस बीच डिजिटल माध्यम से एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दोहराया कि तीनों कृषि कानून किसानों के लिए लाभकारी होंगे।
उन्होंने कहा, पिछली सरकारें भी ये कानून लागू करना चाहती थीं लेकिन दबाव के कारण वे ऐसा नहीं कर सकीं। मोदी सरकार ने कड़े निर्णय लिए और ये कानून लेकर आई। जब भी कोई अच्छी चीज होती है तो अड़चने भी आती हैं।
केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठन के नेताओं ने सोमवार को कहा कि शांतिपूर्वक ट्रैक्टर रैली निकालना किसानों का संवैधानिक अधिकार है और 26 जनवरी को प्रस्तावित इस रैली में हजारों लोग भाग लेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों के राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश के बारे में फैसला करने का पहला पहला अधिकार दिल्ली पुलिस का है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि 26 जनवरी को किसानों की प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली कानून-व्यवस्था से जुड़ा मामला है और यह फैसला करने का पहला अधिकार पुलिस को है कि राष्ट्रीय राजधानी में किसे प्रवेश की अनुमति दी जानी चाहिए।