प्राचीन काल में देवस्थल या मंदिर गांव के बाहर हुआ करते थे जहां लोग सामूहिक पूजा करने के लिए समय-समय पर जाते थे। नगरों में भी मोहल्ले के अनुसार सामूहिक मंदिर होते थे। घरों में पूजा स्थान बनाने की परंपरा नहीं थी, किंतु सभी व्यक्तियों ने अपने घरों में अपने-अपने छोटे पूजा स्थल बना लिए हैं। अधिकतर लोग वहीं पर प्रातःकाल और सायंकाल पूजा करते हैं। यद्यपि त्योहार आदि के अवसर पर मंदिरों में भी बहुत लोग जाते हैं। लेकिन ऐसे में सवाल है कि हम किस देवता की पूजा करें जिससे हमें पूर्ण फल मिले। व्यक्ति की जन्म कुंडली में पांचवा स्थान शिक्षा, संतान और अपने इष्ट देवता का होता है। जन्म कुंडली में सबसे ऊपर पहले खाने में जहां लग्न लिखा हुआ होता है, उससे बाईं और पांचवे खाने तक गिनने पर पांचवा भाव होता है। इस पंचम भाव में जो भी अंक लिखा होता है उसी के अनुसार हमारे इष्ट देव का पता चलता है।
-पांचवे स्थान में मेष राशि होने पर व्यक्ति के इष्ट देव हनुमान जी होते हैं। हनुमान जी की पूजा करने पर उन्हें शीघ्र फल मिलते हैं।
-पांचवें भाव में वृषभ राशि होने पर आपके इष्ट देव महालक्ष्मी होती हैं। महालक्ष्मी के विशेष रूप से पूजा करने से सारे कब कार्य सफल होते हैं।
-पांचवे स्थान में मिथुन राशि होने पर आपके इष्ट देव दुर्गा मां हैं। दुर्गा मां की पूजा करने से आपके कष्ट दूर होंगे।
-पंचम भाव में कर्क राशि होने से आपके इष्ट देव भगवान शंकर अथवा गणेश जी होंगे। भगवान शंकर या गणेश जी की पूजा करने से आपको अभीष्ट फल मिलेंगे।
-पंचम भाव में सिंह राशि होने पर आपके इष्ट देव सूर्य,भगवान विष्णु या नृसिंह देव होते हैं। इनकी विशेष पूजा करने से कार्य से ग्रह फलीभूत होते हैं।
-पंचम भाव में कन्या राशि होने से आपके इष्ट देव मां दुर्गा, सरस्वती होती हैं। उनकी कृपा से आप जीवन में आनंद प्राप्त कर सकते हैं।
- पंचम भाव में तुला राशि होने पर आपके इष्ट देव लक्ष्मी माता होती हैं जिनकी कृपा से आप धनधान्य से पूर्ण सकते हैं।
-पंचम भाव में वृश्चिक राशि होने पर आपके इष्ट देवता हनुमान हैं। हनुमान जी की पूजा करना, हनुमान चालीसा पढ़ना, सुंदरकांड का पाठ करना ये आपके जीवन में उन्नति के रास्ता खोलेंगे
-पंचम भाव में धनु या मीन राशि होने पर आपके इष्टदेव भगवान विष्णु, श्री राम, श्रीकृष्ण होंगे। इनकी पूजा आपके लिए लाभदायक रहेगी।
-पंचम भाव में मकर और कुंभ राशि होने से आपके इष्ट देव काली माता, भैरव या शनिदेव होंगे क्योंकि यह तीनों देव तामसिक पूजा के अंतर्गत आते हैं तो इनके स्थान पर आप मां दुर्गा की पूजा भी कर सकते हैं।
उपरोक्त विवरण के अनुसार आप अपने मंदिर में अपने प्रमुख देव की मूर्ति रखें और विशेष रूप से उन्हीं की पूजा करें। वैसे हर गृहस्थी परिवार को अन्य देवों की पूजा भी करनी चाहिए। परमपिता परमेश्वर सभी के लिए सबसे बड़े इष्ट हैं। उनकी पूजा हमेशा ही फलदाई होती है। गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय का जाप सभी उपायों में सर्वश्रेष्ठ होता है और शीघ्र लाभकारी होता है। ज्योतिषी द्वारा बताए गए उपायों में इष्ट देव की पूजा सबसे महत्वपूर्ण होती है। उसकी पूजा करने से एवं उसका दान करने से शीघ्र लाभ होता है एवं हमारी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।