पुणे की एक दिवानी अदालत ने मंगलवार को एक दवा कंपनी एवं विक्रेता की अर्जी पर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) को नोटिस जारी किया। अर्जी में सीरम इंस्टीट्यूट को उसके आगामी कोविड-19 टीकाकरण में 'कोविशील्ड' ट्रेडमार्क या अन्य मिलते-जुलते नामों का इस्तेमाल करने से रोकने का अनुरोध किया गया है।
नांदेड़ की कंपनी क्यूटिस बायोटेक ने सोमवार को अर्जी दायर करके दावा किया कि वह एंटीसेप्टिक, सैनिटाइजर, आदि अपने उत्पादों के लिए 2020 से ही 'कोविशील्ड' ट्रेडमार्क का इस्तेमाल कर रही है। शिकायत के अनुसार कंपनी ने 29 अप्रैल, 2020 में कोविशील्ड ट्रेडमार्क के पंजीकरण के लिए आवेदन दिया था जो लंबित है और कंपनी 30 मई, 2020 से अपने उत्पादों के लिए इस ट्रेडमार्क का इस्तेमाल करती आ रही है।
गौरतलब है कि भारत के औषधि नियामक ने सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के कोविड-19 के टीके 'कोविशील्ड' और भारत बायोटेक के स्वदेश में विकसित टीके 'कोवैक्सीन' के देश में सीमित आपात इस्तेमाल को बीते रविवार को मंजूरी दी थी, जिससे व्यापक टीकाकरण अभियान का मार्ग प्रशस्त हो गया। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की कोविड-19 संबंधी विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) की अनुशंसा के आधार पर भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने यह मंजूरी प्रदान की।
दुनिया की सबसे बड़ी टीका निर्माता कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने 'कोविशील्ड' के उत्पादन के लिए एस्ट्राजेनेका के साथ साझेदारी की है। भारत बायोटेक ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के साथ मिलकर 'कोवैक्सीन' का विकास किया है।