गवान गणपति मंगलकर्ता हैं। विघ्न विनाशक हैं। कल्याणकर्ता हैं। यही वजह है माताएं अपनी संतान की रक्षा के लिए सकट चौथ का व्रत रखती हैं। संकष्टि चतुर्थी का मतलब होता है संकटों का नाश करने वाली चतुर्थी। यह व्रत माघ माह की चतुर्थी को रखा जाता है। सकट चौथ को तिलकुटा चौथ, संकटा चौथ, संकष्टि चतुर्थी, माघी चतुर्थी भी कहा जाता है। इस दिन माताएं निर्जला रहकर संतान की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। शाम को चंद्र देव का अर्घ्य देकर ही व्रत खोला जाता है। कहते हैं कि इस दिन संकटनाशन स्तोत्र का पाठ करना उत्तम रहता है।
कैसे हुई संकटनाशन स्तोत्र की रचना
शिव कल्याणकारी हैं। मान्यता है कि शिव शंकर जिसकी शरण में जाते हैं उन सभी का भला होता है। एक बार की बात है, देवर्षि नारद जी भी संकट में फंस गए। वह इधर-उधर घूमे लेकिन संकट का समाधान नहीं हुआ। तब शंकर जी के कहने पर उन्होंने संकटनाशन स्तोत्र की रचना की। इस स्तोत्र का स्तवन करने वाला कभी संकट में नहीं रहता। उसका समाधान हो जाता है। चतुर्थी के दिन इस स्तोत्र का यथासंभव पांच बार पाठ करें। इसके पाठ से ऋद्धि-सिद्धि का भी आशीर्वाद मिलता है। किसी भी प्रकार का संकट हो, गौरीपुत्र हर विघ्न को दूर करते हैं।
इस मंत्र से करें पूजा
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्॥