स्कूल खुलने पर डिप्टी सीएम का बच्चों से सवाल, स्कूल आने की अनुमति के लिए अभिभावकों को कैसे मनाया?
manish sisodiya

कोरोना से बचाव के तहत घोषित बंदी के बाद दिल्ली के स्कूल सोमवार से खुल गए हैं। ऐसे में स्कूलों की तरफ से कोरोना संबंधी बचाव के उपायों की समीक्षा के लिए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने एक सरकारी और एक निजी स्कूलों का दौरा किया। जिसके तहत उपमुख्यमंत्री सोमवार को एसकेवी, चिराग एन्क्लेव व डीपीएस, मथुरा रोड पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रयोगिक परीक्षा, बोर्ड परीक्षा की तैयारियों के लिए आयोजित होन वाले प्री बोर्ड के बिना छात्रों को सीबीएसई मुख्य परीक्षा के लिए बुलाना उनके साथ अन्याय होगा।

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि सीबीएसई ने 10वीं व 12वीं बोर्ड परीक्षाओं की तारीखों का एलान कर दिया है। ऐसे में प्रायागिक और प्री-बोर्ड की तैयारी कराये बिना बच्चों को परीक्षा के लिए बुलाना अन्याय होगा। मई में सीबीएसई बोर्ड परीक्षा से पहले छात्रों की बेहतर तैयारी और काउंसलिंग जरूरी है। इसलिए सतर्कता बरतते हुए स्कूलों को खोलने का निर्णय लिया गया है ताकि बच्चे विद्यालय के माहौल में रम सकें और बोर्ड परीक्षाओं के लिए पूरी तरह से तैयार हो सकें। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि इससे पिछले एक साल के दौरान पढ़ाई में हुए नुकसान की भरपाई तो नहीं हो पाएगी, लेकिन बाकी बचे समय का सदुपयोग करना चाहिए।

प्रत्येक कक्षा में हो सामाजिक दूरी के नियम का पालन
उपमुख्यमंत्री ने स्कूलों की तैयारियों की समीक्षा करते हुए कोरोना से सभी बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा पूरे विद्यालय परिसर में सफाई के बेहतर इंतजाम के निर्देश दिए। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दस महीने तक स्कूल बंद होने के बाद अब 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं की तैयारियों के लिए खोला जा रहा है। इसलिए स्कूलों को दोबारा खोलने संबंधी पूरी व्यवस्था करना आवश्यक है। उपमुख्यमंत्री ने अधिकारियों को अपने जोन और जिले के सरकारी व निजी स्कूलों में जाकर कोरोना से बचाव के सभी नियमों का पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक कक्षा में सामाजिक दूरी का पालन किया जाए, सैनिटाइजर की उपलब्धता हो, एवं मास्क लगाना आवश्यक हो।

स्कूलों को बेहतर तरीके से दोबारा खोलना ओर सुरक्षा प्राथमिकता
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि स्कूलों को बेहतर तरीके से खोलना और कोरोना से सुरक्षा हमारी प्रभामिकता है। इसके बाद हम परीक्षा परिणाम पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे। इस दौरान उपमुख्यमंत्री ने बच्चों से जानना चाहा कि किस प्रकार उन्होंने स्कूल आने की अनुमति के लिए अपने अभिभावकों को किस तरह मनाया। बच्चों ने बताया कि अभिभावकों के मन में उन्हें स्कूल भेजने को लेकर अभी पूरा आत्मविश्वास नहीं है। इस दौरान शिक्षकों ने कहा कि बच्चों के बिना स्कूलों में सूनापन लगता था। स्कूल खुलने से अब अधूरापन खत्म हो गया है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि अभिभावकों के मन में बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर हिचक होना स्वाभाविक है। इसलिए आज पहले दिन बच्चों की उपस्थिति कम रही, लेकिन हमने अधिकारियों को सारे इंतज़ाम करने का निर्देश दिया ताकि अभिभावकों में बच्चों को स्कूल भेजने का आत्मविश्वास बढ़ सके।