अफगानिस्तान की सरकार ने तालिबान के आगे घुटने टेक दिए हैं। तालिबान के लड़ाके अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पहुंच गए। अफगानिस्तान के कार्यकारी गृह मंत्री ने बयान दिया है कि सत्ता का हस्तांतरण शांति पूर्ण तरीके से होगा। अमेरिका के सैन्य अधिकारियों के मुताबिक राजनयिकों ने मुताबिक संवेदनशील दस्तावेजों को जला दिया है। जिसकी वजह से धुआं काबुल के आसमान में नजर आया। 14 अप्रैल को अमेरिका सेना की वापसी का ऐलान किया गया था। उसके बाद अब 15 अगस्त को यानी 124 दिनों में तालिबान ने अफगान सरकार को घुटनों पर ला दिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सत्ता हस्तांतरण के बाद देश के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने मुल्क छोड़ दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार वो ताजिकिस्तान के लिए रवाना हो गए हैं।
ऐसे बदले हालात
14 अप्रैल- अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा 11 सितंबर तक अमेरिकी सैनिकों की वापसी का ऐलान किया गया।
4 मई- तालिबान के लड़ाकों ने हेलमंद समेत छह प्रांत में सुरक्षा बलों के खिलाफ हमला बोला।
11 मई- काबुल के नजदीक नर्ख जिले पर तालिबान ने कब्जा कर लिया।
2 जुलाई- अमेरिकी सैनिकों ने आधी रात को अपना प्रमुख ठिकाना बगराम एयरबेस खाली कर दिया, जिससे तालिबान का हौसला बढ़ा।
21 जुलाई- तालिबान ने लड़ते हुए करीब आधे अफगानिस्तान पर अपना कब्जा जमा लिया।
6 अगस्त- तालिबान ने जरांग इलाके पर कब्जा किया। जरांग पहली प्रांतीय राजधानी थी जिस पर तालिबान का कब्जा हुआ था।
12-13 अगस्त- तालिबान ने कंधार, हेरात समेत चार प्रांत की राजधानियों पर कब्जा कर लिया।
14 अगस्त- तालिबान ने राजधानी काबुल के दक्षिण में लोगार प्रांत पर भी कब्जा कर लिया है। फिर आतंकी संगठन ने पूर्व का जलालाबाद शहर कब्जा लिया और काबुल को घेर लिया।
15 अगस्त- 100 से अधिक दिनों से जारी संघर्ष के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा जमाया है।