मुंबई. कोरोना के बाद शेयर बाजार ने रिकॉर्ड तेजी दर्ज की है. साथ ही रिकॉर्ड संख्या में नए निवेशक मार्केट में आए हैं. रिटेल निवेशकों ने मार्केट को गति देने में महत्वपूर्ण रोल निभाया है. लेकिन नए निवेशक शेयर बाजार में पैसा लगाने से पहले कई जरुरी बातों को नहीं जानते हैं.
टीवी और डिजिटल मीडिया पर ब्रोकरेज फर्मोंं की सलाह, फंड मैनेजरों के इंटरव्यू और फाइनेंशियल इन्फ्लुएंसरों के यूट्यूब चैनलों ने मार्केट की तेजी पर समां बांध रखा है. बैंक एफडी के रेट में गिरावट और छोटी बचत योजनाओं का घटता ब्याज निवेशकों को शेयर बाजार में निवेश की ओर प्रेरित कर रहा है.
नए निवेशक सीधे शेयरों या आईपीओ में निवेश कर रहे हैं. सेंट्रल डिपोजिटरी सर्विस लिमिटेड के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी से अब तक नए खुलने वाले डीमैट अकाउंट की तादाद 38 फीसदी बढ़ कर 4 करोड़ तक पहुंच चुकी है. म्यूचुअल फंड के एनएफओ में भी काफी निवेश हो रहा है.लेकिन इस तेजी में नए निवेशकों के लिए कुछ बातों को समझना जरूरी है.
बाजार की तेजी अस्थायी होती है
- युवा और नए निवेशक सोशल मीडिया के विज्ञापनों और फाइनेंशियल इनफ्लुएंर्स से प्रभावित होकर मार्केट में एंट्री कर रहे हैं. बाजार की तेजी उन्हें लुभा रही है. लेकिन ज्यादातर एक्सपर्ट्स का कहना है यह तेजी ज्यादा देर तक नहीं टिकेगी क्योंकि अभी नरम मौद्रिक नीति की वजह से मार्केट में लिक्विडिटी है. दुनिया भर के सेंट्रल बैंकों ने ग्रोथ को सपोर्ट करने के लिए ब्याज दर सस्ती कर रखी है. लेकिन आने वाले वक्त में बाजार की स्थिति ऐसी नहीं रहेगी. लिहाजा जो निवेशक शेयर बाजार में एंट्री करने जा रहे हैं, उन्हें कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए.
- बगैर जानकारी के सीधे शेयरों में निवेश घाटे का सौदा
हाल में कुछ म्यूचुअल फंड के खराब प्रदर्शन ने निवेशकों को सीधे शेयरों में पैसा लगाने के लिए प्रेरित किया है. लेकिन सीधे शेयरों में पैसा लगाना बेहद जोखिम भरा हो सकता है. लेकिन नए निवेशकों के लिए यह और खतरनाक हो सकता है क्योंकि उनके पास इक्विटी में पैसा लगाने के लिए पर्याप्त नॉलेज नहीं होता है. अगर आपके पास रिसर्च (टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस) का अनुभव और समय नहीं है तो डायरेक्ट इक्विटी में पैसा न लगाएं. टीवी या डिजिटल मीडिया या अखबारों में दिए जाने वाले एक्सपर्ट्स की राय से प्रभावित न हों. अगर आपके पास पर्याप्त अनुभव न हो तो शेयरों में सीधे निवेश की तुलना में इक्विटी म्यूचुअल फंड में पैसा लगाना बेहतर होगा. - इक्विटी म्यूचुअल फंड में भी जोखिम है, सोच-समझ कर लें फैसला
ऐसा नहीं है कि इक्विटी म्यूचुअल फंड में जोखिम नहीं है. हालांकि डाइवर्सिफाइड म्यूचुअल फंड आपको एक स्थिर रिटर्न दे सकते हैं. म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय निवेशकों को हमेशा रिटर्न में कम से कम दस फीसदी की गिरावट का जोखिम लेकर चलना पड़ता है. हालांकि डाइवर्सिफाइड फंड में फंड मैनेजर घाटा देने वाले शेयरों को हटा कर जोखिम को कम कर सकते हैं. म्यूचुअल फंड में कभी भी सिर्फ पिछले रिटर्न को देख कर निवेश नहीं करना चाहिए. वैसे डाइवर्सिफाइड फंड में निवेश का फायदा यह होता है कि जोखिम कई कंपनियों के शेयरों में बंट जाता है.जबकि शेयरों में सीधे निवेश से जोखिम एक या दो कंपनियों के शेयरों पर ही केंद्रित हो जाता है.
- IPO और NFO से दूर ही रहें
नए निवेशकों को जहां तक संभव हो आईपीओ ( IPO) और एनएफओ (NFO) में पैसा लगाने से बचना चाहिए. निवेशकों के लिए लिस्टिंग गेन भले ही आकर्षक पहलू लगता हो लेकिन जल्दी फायदा उठाना का दांव जोखिम भरा हो सकता है, क्योंकि ज्यादातर आईपीओ महंगे होते हैं. म्यूचुअल फंड के एनएफओ में भी नए निवेशकों को निवेश से बचना चाहिए जब तक कि इनकी कोई खासियत न हो या फिर निवेशक को इस बात का पूरा विश्वास न हो एनएफओ की थीम कारगर रहेगी. कम NAV का मतलब म्यूचुअल फंड का सस्ता होना नहीं है. सस्ते म्यूचुअल फंड का मतलब यह नहीं कि आपको ज्यादा रिटर्न मिलेगा. निवेश का लक्ष्य लॉन्ग टर्म का हो कभी भी एनएफओ में निवेश नहीं करना चाहिए. सिर्फ आठ-दस दिनों के भीतर पैसा बनाने की प्रवृति से बचना चाहिए. - थिमेटिक और स्मॉल कैप फंड में निवेश से बचें
पिछले साल थिमेटिक और स्मॉल कैप फंड ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया था. पिछले साल स्मॉल कैप फंड ने 89 फीसदी तक का रिटर्न दिया था. लेकिन थिमेटिक या स्मॉल कैप फंड काफी जोखिम भरे होते हैं. नए निवेशकों को इसमें निवेश करने से बचना चाहिए . थिमेटिक फंड में निवेश, रणनीतिक निवेश का एक हिस्सा है. निवेश का एक दीर्घकालिक लक्ष्य न हो तो थिमेटिक और स्मॉल कैप फंड में निवेश नहीं करना चाहिए.