अवैध पार्किंग बंद कर दी जाएं और नियम विरुद्ध पार्किंग ठेके भी निरस्त किए जाएं


 लखनऊ। नगर आयुक्त और अधिशासी अधिकारी हस्ताक्षर सहित प्रमाण-पत्र देंगे कि अब कोई अवैध पार्किंग नहीं चल रही। फिर चलती मिली, तो वह ही जिम्मेदार होंगे। अवैध पार्किंग के खेल उजागर होते रहे हैं और रोक के आदेश सरकारी दफ्तरों में रद्दी बढ़ाते रहे हैं। मगर, अबकी बार शासन ने जो सख्त आदेश कागज पर दर्ज किया है, यदि वह जमीन पर उतरा तो तय है कि प्रदेश में एक भी अवैध पार्किंग चलती नजर नहीं आएगी। पार्किंग के अवैध ठेकों और मनमानी वसूली की परतें उधेड़ते हुए सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान ले लिया। उनके सख्त निर्देशों पर नगर विकास और पंचायतीराज विभाग ने आदेश जारी किए हैं कि चौबीस घंटे में सभी अवैध पार्किंग बंद कर दी जाएं और नियम विरुद्ध पार्किंग ठेके भी निरस्त किए जाएं। 

राजधानी लखनऊ सहित लगभग हर शहर और कस्बे में अवैध पार्किंग का खेल चल रहा है, जिसमें नगर निगम और स्थानीय निकाय के अधिकारियों-कर्मचारियों की मिलीभगत जगजाहिर है। जिम्मेदार अधिकारियों को भी सबकुछ मालूम है, लेकिन कमीशनखोरी की जड़ें इतनी गहरी हैं कि पार्किंग के नाम पर उगाही ठेकेदारी कभी खत्म नहीं हो सकी। सरकारी सिस्टम और माफिया के इस मजबूत गठजोड़ पर प्रहार करते हुए 'दैनिक जागरण'  ने समाचारीय अभियान चलाया, जिस पर मुख्यमंत्री ने संज्ञान ले लिया। अपने सरकारी आवास पर हुई उच्चस्तरीय बैठक में उन्होंने कहा कि विभिन्न नगरीय व कस्बाई क्षेत्रों में अवैध रूप से पार्किंग स्टैंड चलने की सूचनाएं मिल रही हैं। यह स्थिति उचित नहीं है। हर हाल में इन गतिविधियों पर रोक लगाई जाए। कहीं भी बिना वैध लाइसेंसधारक के किसी अन्य द्वारा पार्किंग स्टैंड के नाम पर वसूली न हो। ऐसे मामलों में अधिशासी अधिकारी या अपर मुख्य अधिकारी की जवाबदेही तय की जाएगी।

इसके बाद गुरुवार को अपर मुख्य सचिव नगर विकास डा. रजनीश दुबे की ओर से शासनादेश जारी कर दिया गया। इसमें कहा गया है कि शासन की जानकारी में आया है कि वर्तमान में कुछ नगरीय निकायों में सड़क की पटरियों और शेड, पेयजल, शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा रहित स्थलों पर पार्किंग शुल्क की वसूली हो रही है। कुछ स्थानों पर अवैध पार्किंग के ठेके चल रहे हैं। स्पष्ट कहा गया है कि नगरीय निकायों में अवैध रूप से संचालित पार्किंग को बंद कराएं। सड़क की पटरियों पर जरूरी सुविधाओं के बिना चल रहे पार्किंग ठेके निरस्त करें। इसके लिए नगरीय निकायों को मात्र चौबीस घंटे की मोहलत दी गई है। साथ ही निर्देश दिए हैं कि प्रत्येक वैध पार्किंग स्थल पर पार्किंग दरों की सूची, नगर निगम के उत्तरदायी अधिकारियों के नाम, पदनाम व मोबाइल नंबर का बोर्ड जरूर लगाया जाए। खास बात यह है कि शासन ने अब बड़े अफसरों की जिम्मेदारी इसमें तय कर दी है। शासनादेश में कहा गया है कि अवैध पार्किंग न चलने संबंधी स्वहस्ताक्षरित प्रमाण पत्र भी नगर आयुक्त और अधिशासी अधिकारी शासन व निदेशक स्थानीय निकाय को देंगे। इसके बाद अवैध पार्किंग या सड़क की पटरी के किनारे पार्किंग चलने की सूचना मिलने पर संबंधित नगर आयुक्त व अधिशासी अधिकारी व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे।