शरीर को मजबूत बनाने के कारण लोग स्टेरॉयड का इस्तेमाल करते हैं। इस कारण शुगर और थायरॉइड जैसी बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। गाजियाबाद जिला अस्पताल के वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ. आर.पी. सिंह ने बताया कि रोजाना ओपीडी में करीब 20-30 ऐसे मरीज आ रहे हैं, जिनको कम उम्र में ही शुगर की बीमारी हो गई।
उन्होंने बताया कि सामान्य रूप से शुगर जांच 110 से 115 और एचवीए1सी 6.5 रहना चाहिए। गलत खान-पीने से यह स्तर बढ़ जाता है। पोस्ट कोविड मरीजों में भी ये परेशानी अधिक देखने को मिली। इलाज के दौरान उन्होंने स्टेरॉयड अधिक लिया। इससे जिन मरीजों में शुगर नियंत्रण में था, वहां बढ़ गया और जो पहले के मरीज थे, वह गंभीर स्थिति में पहुंच गए ।
मरियम अस्पताल के एमडी डॉ. वी.बी. जिंदल ने बताया कि शरीर बनाने के लिए युवा स्टेरॉयड लेने लगते हैं, जो शरीर को अंदर से खराब कर देता है। यदि कोई व्यक्ति में मधुमेह का स्तर कम होता भी है तो स्टेरॉयड से वह बढ़ जाता है।
ईएनटी विशेषज्ञ डॉ.बीपी त्यागी ने बताया कि ब्लैक फंगस का मुख्य कारण शुगर की अधिकता रहती है। स्टेरॉयड लेने वाले पोस्ट कोविड मरीजों में इसकी शिकायत देखने को मिलती है।
शरीर बनाने के लिए ले रहे स्टेरॉयड : कोच कुलदीप ने बताया कि वर्तमान में इंटरनेट पर मस्कुलर बॉडी बनाने के विज्ञापन आते रहते हैं। जिम करने वाले युवा इसमें भ्रमित हो जाते हैं और स्टेरॉयल लेना शुरू कर देते हैं। इसका परिणाम होता है बालों का झड़ना, शुक्राणुओं का कम होना, किडनी में परेशानी आदि बीमारी होती हैं। शरीर बनाने के प्रोटीन और कैल्सियम की जरूरत ज्यादा रहती है। जो दाल, सब्जियों, फल, दूध और सूखे मावे में काफी रहता है।
जांच में शुगर लेवल काफी अधिक बढ़ा मिला
राजनगर में रहने वाले 31 वर्षीय रवि सिन्हा ने बताया कि उनको सांस फूलने की परेशान थी। विभिन्न बीमारियों की जांच कराई, जिनमें कुछ नहीं निकला। खून की जांच में शुगर काफी ज्यादा आया था। इसके बाद डॉक्टर से संपर्क किया।
23 साल की उम्र में थायरॉइड
जिला एमएमजी अस्पताल की ओपीडी में एक मामला सामने आया, जिसमें कैलाभट्टा के रहने वाले 23 साल के युवक की खून जांच की रिपोर्ट में थायरॉइड और शुगर की पुष्टि हुई। इसमें युवक ने कुछ गलत दवाओं का सेवन किया था।
बचाव के लिए यह उपाय करें
- जिम या खेल के दौरान स्टेरॉयड का सेवन न करें
- जल्दी-जल्दी प्यास लगने और पेशाब आने पर जांच करानी चाहिए
- शुगर की पुष्टि होने पर दवाओं का सेवन समय से करना चाहिए
- 30 साल की उम्र के बाद नियमित जांच जरूर करानी चाहिए