दुनिया के तमाम देश अफगानिस्तान से अपने लोगों को निकालने में लगे हैं। क्योंकि अफगानिस्तान की सत्ता पर अब ऐसे लोगों का कब्जा हो गया है जो सिर्फ खून बहाना जानते हैं। तालिबान जो आतंक का दूसरा नाम बन चुका है। उसे हर कोई रोकना चाहता है। लेकिन हिन्दुस्तान में तालिबानियों के समर्थकों की एक नई फौज खड़ी हो गई है। ये वो लोग हैं जिन्हें तालिबान की क्रूरता नहीं दिखाई देती। उनके लिए तालिबान दहशतगर्द नहीं बल्कि आजादी के लड़ाके हैं। ऐसे लोगों में शायर और विवादित बयान देने के लिए मशहूर मुनव्वर राणा भी शामिल हो चुके हैं। वो कहते हैं तालिबानियों को लेकर जल्दबाजी में कोई राय नहीं बनानी चाहिए।
मुनव्वर राना ने महर्षि वाल्मीकि की तुलना तालिबान से कर डाली। यही नहीं, एक टीवी चैनल में बातचीत के दौरान वह हिंदू धर्म पर सवाल खड़े करते दिखे। लेकिन अब उनके बोल भारी पड़ सकते हैं। शायर के बयान को लेकर आंबेडकर महासभा ने मोर्चा खोल दिया है। महर्षि वाल्मीकि की तुलना तालिबान से करने पर मुनव्वर राणा के खिलाफ लखनऊ के हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज करवाने को लेकर तहरीर दी गई है।
क्या कहा था मुनव्वर राणा ने?
तालिबान पर चर्चा के दौरान मुनव्वर राना ने कहा, 'तालिबान आतंकी हैं पर उतने ही आतंकी हैं जितने रामायण लिखने वाले वाल्मीकी।' उनसे पूछा गया था कि तालिबानी आतंकी हैं या नहीं? बेहद 'सड़कछाप' भाषा का इस्तेमाल करते हुए मुनव्वर राना बोले, 'अगर वाल्मीकी रामायण 'लिख देता है' तो वह देवता 'हो जाता है', उससे पहले वह डाकू होता है। इसको क्या कीजिएगा। आदमी का किरदार, उसका कैरेक्टर बदलता रहता है। '