20 साल बाद अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो गया। तालिबान अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज हो गया। तालिबान की अफगान सत्ता पर कब्जे से कितना फायदा चीन और उसके दोस्त पाकिस्तान को होने वाला है। समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार चीन का कहना है कि वह अफगानिस्तान के तालिबान के साथ 'मैत्रीपूर्ण संबंध' विकसित करना चाहता है। चीन और पाकिस्तान साफ कह चुके हैं कि वो तालिबान का स्वागत करते हैं। हम ये देख भी रहे हैं कि कैसे तालिबान के नेता चीन में जाकर मुलाकात कर रहे हैं। अफगानिस्तान की समृद्ध खनिज संपदा पर चीन की नजर है। चीन ने इससे पहले भी तालिबान राज को मान्यता देने के संकेत दिए थे।
कई मायनों में तालिबान, चीन के काम आ सकता है। मध्य एशिया तक पहुंचने और सीपीईसी की सुरक्षा में तालिबान बेहद अहम है। वहीं खबर ये भी है कि तालिबान ने भी चीन को उनके खिलाफ न जाने का भरोसा दिया है। चीन हर जगह अपना फायदा देखता है। इसी फायदे को देखते हुए तालिबान पर उसने नजर रखी। कई इनपुट भी आए थे कि कैसे चीन और पाकिस्तान की तरफ से सहयोग किया गया।
अफगानिस्तान को सीपीईसी का हिस्सा बनाएगा चीन
अमेरिकी सेना की अफगानिस्तान से तेजी से हो रही वापसी के बीच अपने हितों के लिए चीन ये खाली जगह भरने की तैयारी में है। चीन अब अफगानिस्तान को भी चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर सीपीईसी का हिस्सा बनाने की प्लानिंग कर रहा है। अफगानिस्तान में करीब 20 साल तक तालिबान और अलकायदा से जंग लड़ने के बाद अमेरिका अब वापस लौट रहा है। चीन अगर अपने मकसद में कामयाब होता है तो ये भारत की चिंता की बात हो सकती है। चीन कके मंसूबे यहां के प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जा करने की है। इसी वजह से चीन करीब 62 अरब डॉलर के बेल्ट एंड रोड कॉरिडोर का हिस्सा कहे जाने वाले सीपीईसी का विस्तार अफगानिस्तान तक करना चाह रहा है।