मोदीनगर, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। ‘साहित्य मंच’ मोदीनगर के तत्वाधान में 28-11-21 रविवार की शाम एक शानदार विशाल काव्य गोष्ठी का आयोजन श्री अमित अरोड़ा के सोना एनक्लेव स्थित आवास पर हुआ। साहित्य जगत के मूर्धन्य विद्वान कवि डा. सुरेंद्र सिंह अत्रीश के सानिध्य एवं श्री अमित अरोड़ा की माताजी श्रीमती चंद्र मोहिनी अरोरा की छत्र-छाया में आयोजित इस काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता मंच के अध्यक्ष श्री रामकुमार गुप्ता ‘सौमित्र’ ने की व संचालन श्री अमित अरोड़ा ने अति सुंदर ढंग से किया।
गोष्ठी में मोदीनगर के अलावा मेरठ एवं गाजियाबाद के भी अनेक कवियों एवं कवित्रियों ने भाग लेकर इस गोष्ठी को चार चाँद लगाए। मेरठ से पधारे श्री योगेश ‘समदर्शी’ ने कहा कि-
आँगन में तुलसी के पौधे बिना सूना सूना।
घर की तो शोभा पौधे काँटेदार हो गए।
गाय वाले खूँटे जब घर से उखड़ गए।
कुत्ते बिल्लियों से सजे परिवार हो गए।
वहीं मेरठ से पधारे ओजस्वी गीतों के हस्ताक्षर श्री सुल्तान सिंह ‘सुल्तान’ ने इन पँक्तिओं से वाहवाही लूटी-
तिरंगे से बड़ा सिर पर कोई सेहरा नहीं देखा।
यह माँ बाप से बढ़कर कोई रिश्ता नहीं देखा।
जमाने में एक से एक चेहरे खूबसूरत हैं
मगर माँ-बाप सा सुंदर कोई चेहरा नहीं देखा।
गाजियाबाद से पधारीं श्रीमती सीमा सागर शर्मा ने माँ सरस्वती वंदना का सरस काव्य पाठ करते हुए पढ़ा-
इच्छा मेरे मन रहे पाऊँ तेरा प्यार
अधरन तेरा नाम हो हर पल रहे बहार
गाजियाबाद से ही आए श्री अंकित चहल ‘विशेष’ ने अपनी शानदार गजल की प्रस्तुति पर श्रोताओं की भरपूर तालियाँ बटोरी।उन्होंने कहा-
हमेशा दूसरों को ही मनाने में रहे हम तो।
यही सच है कभी खुद को मनाया ही नहीं हमने।
ग्राम खंजरपुर से पधारे युवा कवि श्री भरत भूषण ‘खंजरपूरिया’ ने कुछ इस प्रकार अपने अंदाज में काव्य पाठ करते सब को मंत्रमुग्ध किया-
जिनके सर पर स्वर्ण मुकुट है हुई उन्हें भी जलन यहाँ।
मेरी ऊँगली में जब देखी एक अँगूठी चाँदी की।
श्री राम कुमार गुप्ता ‘सौमित्र’ ने कुछ इस प्रकार रचना पढ़ी-
प्रेम के प्यासे दिलों पर करो ना वज्रघात यारों।
दिल बड़ा नाजुक जरा सी ठेस से भी टूटता है।
श्री दरयाव सिंह राजपूत ’ब्रजकन’ ने ब्रज की छटा बिखेरते हुए काव्य पाठ किया-
ऊँचे पानी से अब बुलबुले हो गए
स्याह थे दूध के वो धुले हो गए
वक्त क्या आ गया मंच पर देखिए
गीत से महँगे अब चुटकुले हो गए
मेरठ से आई श्रीमती सुधा शर्मा ने गीत पढ़ा-
मेरा प्रेम है कितना पावन
कैसे तुमको समझाऊँ गर तेरा मन हो दर्पण
तो मैं इसको दिखलाऊँ।
डा. सुरेंद्र सिंह अत्रीश ने पढ़ा कि-
कर्म की धूप में खिलता रहेगा यह चमन तेरा।
विजय होगी सदा तेरी सितारे जगमगायेंगे।
श्री जगवीर शर्मा ने भूर्ण हत्या पर रचना पढ़ते हुए एक दोहा यूं कहा-
बेटा बेटी को करो नेह बराबर आप
जाने किस के भाग्य से मिट जाए संताप
गोष्ठी का श्रेष्ठ संचालन कर रहे श्री अमित अरोड़ा ने अपनी माता जी की उपस्थिति में उनको को समर्पित करते हुए माँ नामक सुंदर रचना सुनाते हुए सबकी आँखों को सजल कर दिया तो श्री रविंद्र शर्मा ने अपनी शेरो-शायरी और गज़लों से समा ही बाँध दिया। श्रीमती पुष्पा शर्मा ने भी नारी विषय पर बहुत सुंदर और मार्मिक कविताओं का पाठ करके सदन की भरपूर सराहना प्राप्त की। इसके अलावा श्री हरि नारायण दीक्षित की हास्य परिपूर्ण रचनाओं ने श्रोताओं को हँसने पर मजबूर कर दिया। श्री प्रशांत दीक्षित, श्री योगेंद्र अग्रवाल, श्री सागर भारती व श्री देवी शरण पश्यक आदि कवियों ने भी अपनी काव्य रचनाओं का पाठ कर श्रोताओं के दिलों पर अपनी छाप छोड़ते हुए इस गोष्ठी को सफल बनाने में भरपूर सहयोग दिया। इस अवसर पर श्रीमती चंद्रमोहिनी, श्री अमित अरोड़ा व श्रीमती आशा अरोड़ा ने डा. सुरेंद्र सिंह अत्रीश को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया तथा सभी कवियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए। साहित्य मंच एवं कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री राम कुमार गुप्ता सौमित्र ने मार्मिक कविता के साथ श्रीमती चंद्रमोहिनी अरोड़ा को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया एवम गोष्ठी का समापन किया।
इस अवसर पर श्री नरेश चंद शर्मा, श्री प्रहलाद प्रसाद शर्मा, श्री सागर शर्मा, सरदार मक्खन सिंह, श्रीमती एवम श्री सुरेंद्र कुमार गुप्ता, श्री राकेश कंसल, श्री एस.के. गुप्ता, श्री जयवीर, श्रीमती रचना नारंग आदि अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने गोष्ठी का भरपूर आनंद लिया। उपरांत सभी कवियों, कवित्रियों और आये मेहमानों ने श्रीमती आशा अरोड़ा के हाथों द्वारा तैयार किया शु( सात्विक रात्रिभोज का रसास्वादन कर अरोरा परिवार के उच्च स्तरीय आतिथ्य सत्कार की भरपूर प्रशंसा की।