लखनऊ। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने विश्वविद्यालयों के शोध कार्यों को जन उपयोगी बनाने का निर्देश देते हुए कहा कि ऐसे शोध जो जनहित से जुड़े हैं, उन्हें व्यापक उपयोग में लाने के लिए व्यवस्थाएं की जाएं। क्षेत्रीय जनता की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर शोध किए जाएं और उसके विकसित माडल तैयार कर जन उपयोग के लिए दिया जाए। राज्यपाल ने गुरुवार को राजभवन स्थित प्रज्ञा कक्ष में प्रदेश के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ नवाचार के संबंध में कार्य प्रगति की समीक्षा की। विश्वविद्यालयों में लगाए गए महंगे संसाधनों की उपयोगिता को भी जनसामान्य से जोडऩे को कहा।
कृषि उपयोगी संयंत्र, टेस्टिंग लैब, जीरो बेस्ड उपकरण जैसे संसाधनों को किसानों व जनता के उपयोग के लिए भी दिया जाए। इससे जहां विद्यार्थियों की जानकारी का विस्तार होगा, वहीं किसानों व क्षेत्रीय जनता को महंगे खर्च पर मिलने वाले संसाधनों का लाभ प्राप्त हो सकेगा। राज्यपाल ने कुलपतियों से कहा कि वे विश्वविद्यालय में नवाचार विकसित करने के लिए केंद्रीय बजट में निर्धारित प्रविधानों का ध्यान भी रखें। विश्वविद्यालय आपसी सामंजस्य से अपनी अनेक समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। उन्होंने तकनीकी स्तर तथा प्रशासनिक विविधताओं के समाधान के लिए एक-दूसरे का सहयोग करने को कहा।
उन्होंने विश्वविद्यालयों में अनावश्यक खर्चों में कटौती करने, डिजिटलाइलेशन को बढ़ावा देकर अनावश्यक पद समाप्त करने, अनावश्यक नए भवनों का निर्माण न करने का निर्देश देते हुए कहा कि एक ही भवन को शिफ्ट में कई कार्यों में प्रयोग किया जा सकता है। इससे बिजली व संसाधन पर व्यय की बचत हो सकती है। राज्यपाल ने कुलपतियों से कहा कि वे जो भी नवाचार विकसित करें वे समुचित परिणामदायी हों। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय जनता उपयोगी कार्यों का विवरण प्रेषित करें तथा जो शिक्षक किसी लर्निंग अथवा ट्रेनिंग के लिए दूसरे विश्वविद्यालय अथवा सेमिनार, कार्यशाला आदि में जाते हैं, उनके द्वारा उस भ्रमण के उपरान्त सीखे गए कार्य का कितना क्रियान्वयन किया गया, इसका विवरण भी रखा जाए। बैठक में राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव महेश कुमार गुप्ता सहित विश्वविद्यालयों के कुलपति व उनके सहयोगी अधिकारी मौजूद थे।