ये किसने बाँट दिया है हमको ?

ये किसने बाँट दिया है हमको ? किसने दीवार चिनवा दी बीच में? पंच तत्व का शरीर है, सबके एक जैसे हैं

हमारे मन भी मिल जाते हैं, दिमाग मी मिल जाते हैं। शासक समय-समय पर बदल जाते हैं।सत्ता सलामत रहे तो बहुत से रास्ते बनाए जाते हैं। बस जी लोभ प्रभुत्व का कायम रहे तो विभिन्न हथकंडे आजमाइए जाते हैं जिसमें  विभाजित करिए और राज करिए सर्वोत्तम होथा है।

उसी की कड़ी का उदाहरण कहिए या नमूना कहिए शमशान भूमि अलग-अलग हैं। ईसाईयों के और इस्लामियों के माना कब्रिस्तान अलग-अलग हैं।परंतु  हमारे  गाँव में मुहल्ले या खानदान के नाम पर अलग हैं। 

परंतु  हिन्दु धर्मानुसार अलगाव सोच से परे है परंतु उसमें जाति के आधार पर अलग-अलग शमशान भूमि आवंटित है सरकारी कागजों में। 

बहुत पहले तो नहीं जाते परंतु पता नहीं यह व्यवस्था मध्य कालीन भारत में  रही या नहीं लेकिन अंग्रेजी शासन से तो समझ आती है।

इसके दो कारण हमारी अल्प बुद्धि में आते हैं 

1------उस जमाने में आवागमन के  संसाधन अच्छे नहीं  थे तो जहाँ आबादी रही वहीं निकटवर्ती भूमि आवंटित कर दी ।

2----राजनीतिक दृष्टिकोण जैसा कि ऊपर भी कहा है बाँटो और राज्य करो की भावना  प्रबल रही हो ।

ये जमीनें का आवंटन आजादी पूर्व का है जो आज भी बदस्तूर बना हुआ है। 

विचारणीय विषय है कि यहाँ गलती किसकी है जबकि आज हम स्वतंत्र हैं जिसमें समाज जीते जी तो बंटा है और मर कर भी बंटा हुआ है। 

यहीं नहीं हमारे पति ने बताया कि वीरों की धरती का शहर दुनिया के अजूबों में एक अजूबा राजस्थान की राजधानी जयपुर में भी एक ही शमशान में बिरादरी के  आधार पर अलग-अलग शमशान भूमि है। 

इतनी बात आप प्रबुद्ध जनों से साझा इसलिए की क्योंकि आज तहसील प्रजापति मोक्ष स्थली एवं स्मृति उपवन तक शवयात्रा सुरक्षित पहुँच सके इसके लिए सड़क निर्माण हेतु प्रार्थना पत्र उपजिलाधिकारी श्री आदित्य महोदय को देने पर उनका प्रश्न था कि क्या  शमशान भी जाति के आधार पर है?

जो था अनुभव अनुसार था किसी को ठेस पहुंचाने का कतई इरादा नहीं था। 

अनिला सिंह आर्य