वैसे तो चित्रा रामकृष्ण से भी बड़ी-बड़ी घपलेबाज महिलाएं हैं, लेकिन ये मामला लेटेस्ट है तो सबसे पहले एनएसई की पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण की ही बात करते हैं। उन्होंने करीब 4 लाख करोड़ रुपये के मार्केट कैप वाले एक्सचेंज को यूं चलाया मानो वो कोई प्राइवेट क्लब हो। मनमाने तरीके से आनंद सुब्रमण्यम की नियुक्ति की, उन्हें इतनी मोटी सैलरी दी जो लोगों की कल्पनाओं से भी परे थी। इसे को-लोकेशन स्कैम कहा जा रहा है, जिसके तहत कुछ सीक्रेट जानकारियां कुछ लोगों या ब्रोकर्स को समय से पहले दिए जाने का आरोप है, जिससे उन लोगों ने करोड़ों का मुनाफा कमाया होगा। सेबी ने इत्मिनाम से मामले की जांच के बाद रिपोर्ट दी है, जिसमें चित्रा रामकृष्ण पर तमाम आरोप हैं, तो इन बातों को महज अफवाह भी नहीं कहा जा सकता।
चित्रा की कहानी किसी फिल्मी ड्रामे से कम नहीं
इस पूरे मामले में एक फिल्मी ड्रामा भी है। जब चित्रा से पूछा गया कि उन्होंने ये सब क्यों किया तो वह बोलीं कि हिमालय के एक योगी के कहने पर वह ये सब करती थीं। छानबीन के बाद एसबीआई को शक है कि आनंद सुब्रमण्यम ही वह बाबा है। वहीं चित्रा कहती हैं को उन्होंने बाबा को नहीं देखा। सवाल ये उठता है कि एक पढ़ी-लिखी इतने ऊंचे पद पर बैठी महिला ऐसी फालतू की बात कैसे कर सकती है कि वह किसी योगी बाबा के इशारे पर एनएसई को चला रही थी, जिससे वह कभी मिली भी नहीं। चित्रा बताती हैं कि वह करीब 20 सालों से इस रहस्यमयी बाबा के इशारों पर काम कर रही थीं। ऐसे में चित्रा के सहयोगियों पर भी सवाल खड़ा होता है कि उन्हें इतने सालों में किसी भी गड़बड़ी का पता कैसे नहीं चला। खैर, जांच जारी है। हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं। ये भी पता चला है कि चित्रा रामकृष्ण ने टैक्स हैवन देशों का भी दौरा किया था, तो उस नजरिए से भी जांच की जा रही है।
2- एलिजाबेथ होम्स की खून चेक करने वाली मशीन
यूं तो तमाम तरह के स्टार्टअप आए दिन शुरू होते हैं और बंद होते हैं, लेकिन अमेरिका की एलिजाबेथ होम्स ने ऐसा स्टार्टअप शुरू किया था, जो किसी क्रांति से कम नहीं था। उन्होंने महज 19 साल की उम्र में 2003 में एक ऐसे डिवाइस को बनाने पर काम करना शुरू किया, जिसके जरिए खून की सिर्फ कुछ ही बूंदों से कैंसर समेत करीब 200 तरह के टेस्ट हो सकेंगे। उन्होंने थॉमस एडिसन के नाम पर इस डिवाइस का नाम एडिसन रखा। वह कहती थीं कि जैसे थॉमस एडिसन कई बार फेल होने के बाद सफल हुए, वैसे ही एडिसन डिवाइस भी कई बार फेल होने के बाद सफल हुई है। उन्होंने सिलिकॉन वैली में एक कंपनी शुरू की, जिसका नाम था थेरानोस। देखते ही देखते इस कंपनी का वैल्युएशन 2014 तक 9 अरब डॉलर हो गया। जब भी वह इस डिवाइस या अपने आइडिया के बारे में किसी साइंटिस्ट या प्रोफेसर को बतातीं तो उन पर कोई यकीन नहीं करता और कहता कि ये नामुमकिन है। हालांकि, अपनी आकर्षक छवि और बात करने के शानदार अंदाज से वह हर किसी को अपनी बात मनवा लेती थीं।
स्टीव जॉब्स से होती थी तुलना, लेकिन किया 68 हजार करोड़ का फ्रॉड
एलिजाबेथ होम्स को तो लोग आज के दौर का स्टीव जॉब्स तक कहने लगे थे। वह स्टीव जॉब्स की तरह ही कपड़े भी पहनती थीं और उन्हीं की तरह बिना लाइसेंस प्लेट की काली गाड़ी में चलती थीं। उनके बातों से निवेशक कितनी जल्दी आकर्षित होते थे, इसका अंदाजा तो इसी बात से लगता है कि उनकी कंपनी में रूपर्ट मुर्डोक, ऑरेकल के संस्थापक लैरी इलीसन, वॉल्मार्ट के वॉल्टन परिवार जैसे निवेशक शामिल थे। उन्हें फोर्ब्स ने अरबपतियों की लिस्ट में शामिल किया और फॉर्च्यून मैगजीन ने भी अपनी लिस्ट में जगह दी। धोखे की नींव पर बना ये रेत का महल 2015 में ढेर हो गया, जब वॉल स्ट्रीट जर्नल के एक पत्रकार ने एलिजाबेथ के इनोवेशन को फर्जी बता दिया। जब जांच हुई तो पता चला कि वह एडिसन पर सिर्फ कुछ ही टेस्ट करती थीं और उनकी एक्युरेसी भी बहुत कम होती थी। अधिकतर टेस्ट तो दूसरी मशीनों से होते थे। और एक झटके में 9 अरब डॉलर यानी करीब 68 हजार करोड़ रुपये के वैल्युएशन वाली उनकी कंपनी थेरानोस की वैल्यू जीरो हो गई। एलिजाबेथ पर धोखाधड़ी का आरोप लगा
3- रुजा इग्नातोवा के दिमाग की उपज था 'वन कॉइन' फ्रॉड
दुनिया का सबसे बड़ा क्रिप्टो फ्रॉड बुल्गारिया की रहने वाली एक खूबसूरत लड़की रुजा इग्नातोवा ने किया था। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ी रुजा पीएचडी तक कर चुकी थीं। दिमाग तो बहुत तेज था, लेकिन उसका इस्तेमाल उन्होंने गलत काम के लिए किया। उन्होंने यूके में अपनी एक कंपनी बनाई और 2014 में वन कॉइन क्रिप्टोकरंसी की शुरुआत की। रुजा ने लोगों का भरोसा जीतने के लिए उन्हें बताना शुरू किया कि वनकॉइन बहुत ही सुरक्षित क्रिप्टोकरंसी है, जिसके लिए केवाईसी भी की जाती है। उन्होंने लोगों को बताया कि वह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करती हैं, ताकि पैसों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और वन कॉइन का इस्तेमाल किसी गलत काम के लिए ना हो सके। रुजा का ये भी दावा था कि आने वाले कुछ सालों में वनकॉइन क्रिप्टोकरंसी बिटकॉइन से भी बड़ी बन जाएगी।
35000 करोड़ का स्कैम
वनकॉइन की लोकप्रियता इतनी बढ़ी कि लोग इसके बारे में अधिक जानकारी जुटाए बगैर ही वनकॉइन में पैसे लगाने लगे। चीन, यूके, दक्षिण अफ्रीका समेत भारत तक के लोगों ने इसमें पैसे लगाए थे। अफ्रीका के बहुत से देशों में तो लोगों ने अपनी जमीन और जानवर तक बेचकर इसमें पैसा लगाया। यहां तक कि कंपनी के लिए काम करने वाले मल्टीलेवल मार्केटिंग लीडर्स उन्हें मिलने वाले कमीशन को भी वन कॉइन में लगाने लगे, ताकि मोटा मुनाफा कमा सकें। इन सब के बीच इक्का-दुक्का लोग वन कॉइन पर शक किया करते थे और रुजा ने पुर्तगाल में अक्टूबर 2017 में एक इवेंट के जरिए लोगों के सवालों के जवाब देने की बात कही। इस इवेंट में वह यह भी बताने वाली थीं कि कब वह वनकॉइन को कैश में बदल सकते हैं। इवेंट में लोग रुजा का इंतजार करते रहे और रुजा इग्नातोवा करीब 5 अरब डॉलर यानी लगभग 35 हजार करोड़ रुपये का क्रिप्टोकरंसी फ्रॉड कर के फरार हो गई। रुजा के साथ इस स्कैम का हिस्सा रहे बहुत से लोग गिरफ्तार हुए, लेकिन रुजा का आज तक कोई पता नहीं चला। वह अब तक गायब है। द टाइम्स ने इसे इतिहास के सबसे बड़े स्कैम में से एक कहा है।
4- चंदा कोचर अर्श से पहुंचीं फर्श पर
एक वक्त ऐसा था कि लोग आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रबंध निदेशक चंदा कोचर की मिसालें दिया करते थे। बताया जाता था कि कैसे एक महिला ने इतने बड़े निजी बैंक में अपनी ऊंची जगह बनाई। चंदा कोचर ने खूब शोहरत बटोरी, लेकिन एक गलती की वजह से सब कुछ मटियामेट हो गया। इस गलती में अहम रोल है उनके पति दीपक कोचर का, जिन्हें गिरफ्तार तक किया गया था और वह लगभग 6 महीनों तक कस्टडी में थे। चंदा कोचर 2009 में आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ बनी थीं, लेकिन 2018 में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के चलते उन्हें अपन पद से इस्तीफा देना पड़ा।
क्या था मामला, जिसमें फंसीं चंदा कोचर?
इस कहानी की शुरुआत होती है 2012 से, जब वह आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ थीं। उसी दौरान वीडियोकॉन ग्रुप को 3250 करोड़ रुपये का लोन दिया था। इस लोन के करीब 6 महीनों बाद चंदा कोचर के पति दीपक कोचर ने NuPower Renewables Pvt Ltd (NRPL) नाम की एक कंपनी बनाई, जिसे वीडियोकॉन ग्रुप के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत ने करोड़ों रुपये ट्रांसफर किए थे। इसके बाद जब मामला खुला तो ED ने चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन के मुखिया वेणुगोपाल धूत और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ बैंक लोन में धोखाधड़ी और PMLA के तहत केस दर्ज किया। वहीं यह भी पाया गया कि चंदा कोचर ने बैंक की आचार संहिता का उल्लंघन कर वीडियोकॉन को कर्ज दिया, जिसका एक हिस्सा उस कंपनी को मिला।
एबीजी शिपयार्ड घोटाले में भी फंस सकती हैं चंदा कोचर!
हाल ही में एबीजी शिपयार्ड घोटाले का पता चला था, जिसमें बैंक को करीब 22,842 करोड़ रुपये का चूना लगाय गया है। यह चूना एसबीआई और आईसीआईसीआई समेत 28 बैंकों के समूह को लगा है। इस फ्रॉड में सबसे बड़ा नुकसान आईसीआईसीआई को ही हुआ है और ये करीब 7,089 करोड़ रुपये की है। दिलचस्प बात ये है कि जब ये घोटाला हुआ, उस वक्त भी आईसीआईसीआई की कमान चंदा कोचर के ही हाथ थी। वैसे तो इस मामले में अभी चंदा कोचर पर कोई आरोप नहीं लगा है, लेकिन सीबीआई जांच चल रही है और जिस दिन नतीजे सामने आएंगे, बेशक उसमें कई हैरान करने वाले खुलासे हो सकते हैं।