लखनऊ में बनेगी किसकी सरकार


UP Assembly Elections 2022: आखिरी चरण में 2.06 करोड़ मतदाता 613 उम्मीदवारों के भाग्य का निर्णय करेंगे।

लखनऊ। विधानसभा चुनाव के लिए सातवें चरण के लिए आज मतदान। इस चरण में नौ जिलों में आने वाले 54 विधानसभा क्षेत्रों में वोट पड़ेंगे। इन क्षेत्रों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र भी आता है। अंतिम चरण में योगी सरकार के सात मंत्रियों के अलावा बाहुबली धनंजय सिंह और माफिया मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी भी चुनाव मैदान में हैं। आखिरी चरण में प्रदेश के 2.06 करोड़ मतदाता 613 उम्मीदवारों के भाग्य का निर्णय करेंगे।

एक दौर था जब चुनाव में नेतागण अपनी पार्टी की योजनाएं गिनाते थे और वादे करते थे, पर अब एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए दोयम दर्जे की बातें होती हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने भाषणों में बुलडोजर और माफिया की बातें उठाईं तो भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह तक इस पर मोहर लगाते दिखे। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सत्ता पक्ष के इस तीर को चिलम और धुएं तक पहुंचा दिया। भाजपा के वार से विपक्ष जहां सहमा सा दिखा, वहीं विपक्ष को स्वप्न में भगवान श्रीकृष्ण दिखने लगे।

जातियों में मतदाता न बंटे, इस निमित्त भाजपा ने भरपूर प्रयास किए। लेकिन स्थानीय मुद्दे किसी भी दल ने नहीं उठाए और पूरा चुनाव माफिया और बुलडोजर जैसे प्रतीकों के इर्द-गिर्द ही सिमटा रहा। यूक्रेन युद्ध से उपजा छात्र-छात्रओं की स्वदेश वापसी का मुद्दा जरूर उठा। पहले चरण से लेकर अंतिम चरण तक चुनाव प्रचार में मुख्तार, अतीक और आजम खां को मुद्दा बनाकर भाजपा ने जहां यह संकेत देने की कोशिश की थी कि यदि समाजवादी पार्टी सत्ता में आती है तो माफिया जेल के बाहर दिखेंगे, वहीं अखिलेश यादव ने अपने भाषणों में सिर्फ धनंजय सिंह का ही नाम लिया।

इस चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 28 सभाओं से जहां माहौल बनाया, वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मजबूत स्टार प्रचारक के रूप में उभरे। उन्होंने 200 से अधिक कार्यक्रम किए। राष्ट्रीय और प्रदेश संगठन के सभी बड़े नेता प्रदेश को मथने में अलग जुटे रहे। सपा मुखिया अखिलेश यादव और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी भरपूर ताकत दिखाई। बसपा प्रमुख मायावती ने केवल 20 जनसभाएं ही कीं। हालांकि राष्ट्रीय महासचिव सतीशचंद्र मिश्र ने 151 जनसभाएं इस दौरान कीं।

वैसे तो भाजपा ने विधानसभा चुनाव के लिए जमीनी अभियान-कार्यक्रमों की शुरुआत कई माह पहले ही शुरू कर दी थी, लेकिन प्रत्याशी तय होने के बाद चुनाव प्रचार अभियान योजनाबद्ध तरीके से चलाया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की व्यस्तता के चलते उनकी ऐसी संयुक्त जनसभाएं कराई गईं, जिसमें एक बार में कई विधानसभा क्षेत्र के मतदाता शामिल हो जाएं। उन्होंने कुल 28 बड़े प्रचार कार्यक्रम किए, जिसमें जनसभा और रोड शो शामिल थे। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 40, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 43 तो गृह मंत्री अमित शाह ने 54 सभाएं कीं। प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने हर जिले में पहुंचने का प्रयास किया और 70 से अधिक सभाओं को संबोधित किया। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी 85 जनसभाएं कीं, जबकि डा. दिनेश शर्मा के 26 कार्यक्रम हुए।

विपक्ष में चुनाव प्रचार में सबसे अधिक पसीना सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बहाया। इस अभियान की कमान उन्होंने अकेले ही संभाली और लगभग 200 जनसभा व रोड शो से किए। कांग्रेस प्रत्याशियों के प्रचार अभियान की कमान मुख्य रूप से प्रियंका गांधी वाड्रा ने खुद संभाली। प्रदेश कांग्रेस के अनुसार, उन्होंने 42 रोड शो, 167 रैली व नुक्कड़ सभा, जबकि 340 वचरुअल रैलियां कीं। आम आदमी पार्टी के संयोजक व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तीन जनसभाओं को संबोधित किया, जबकि प्रदेश प्रभारी व सांसद संजय सिंह ने लगभग 200 प्रचार कार्यक्रम किए।