उत्तर प्रदेश में शानदार तरीके से ‘योगी रिटर्न’ के बाद अब भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश विधान परिषद के चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। परिषद के स्थानीय प्राधिकारी क्षेत्र की 36 विधान परिषद सीटों पर चुनाव की प्रक्रिया 15 मार्च से शुरू हो जाएगी।
जानकार भी कहते हैं कि अभी तक उच्च सदन यानी विधान परिषद में समाजवादी पार्टी के मुकाबले कम सदस्य संख्या वाली भारतीय जनता पार्टी अब दोबारा सत्ता में लौटने के बाद एमएलसी के इस चुनाव में बहुमत हासिल करने में पूरा जोर लगाएगी। पार्टी आलाकमान विधानसभा चुनाव में अपने हारे दिग्गज नेताओं केशव प्रसाद मौर्य, सुरेश राणा, संगीत सोम, सतीश द्विवेदी, उपेन्द्र तिवारी आदि को एमएलसी बनाकर योगी कैबिनेट में शामिल करने की राह खोल सकता है। इसके अलावा सपा से आए कुछ विधान परिषद सदस्यों और कुछ महिला नेत्रियों अपर्णा यादव आदि को भी टिकट दिया जा सकता है।
गौरतलब हो, पहले यह चुनाव विधानसभा चुनाव के साथ ही करवाने का कार्यक्रम था। चुनाव आयोग ने इसके लिए बाकायदा अधिसूचना भी जारी कर दी थी,लेकिन तमाम राजनैतिक दलों को यह चुनाव कार्यक्रम रास नहीं आ रहा था। इस बारे में प्रमुख राजनीतिक दलों की ओर से केन्द्रीय चुनाव आयोग को पत्र भेजे गये थे और विधान सभा तथा विधान परिषद चुनाव के मतदान की तारीख में टकराव का हवाला देते हुए विधान परिषद की सीटों के चुनाव कार्यक्रम में बदलाव किये जाने का अनुरोध किया। इसके बाद चार फरवरी को इस बाबत जारी अधिसूचना को आयोग ने निरस्त कर दिया। अब इन चुनावों की पूरी प्रक्रिया 15 मार्च से शुरू होगी।
खैर, बात परिषद की राजनीति की कि जाए तो 100 सदस्यों(सीटों) वाली विधान परिषद में स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्रों की 36 सीटें यहां राजनीतिक दलों का गणित बदलती रही हैं। वर्ष 2016 के चुनाव में समाजवादी पार्टी की 31 सीटें आई थीं। तब सपा सत्ता में थी। दो सीटों पर पर बसपा जीती थी। रायबरेली से कांग्रेस के दिनेश प्रताप सिंह जीते थे। बनारस से बृजेश कुमार सिंह व गाजीपुर से विशाल सिंह ‘चंचल’ चुने गए थे। दिनेश प्रताप सिंह बाद में भाजपा में शामिल हो गए। यह चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि भाजपा इसमें अधिक से अधिक सीटें जीतकर विधान परिषद में बहुमत हासिल करना चाहेगी, जबकि सपा अपनी सीटें बचाने में जुटेगी।
ज्ञातव्य हो, विधान परिषद में स्थानीय प्राधिकार निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव में नगर निगम, नगर पालिका परिषद, नगर पंचायतें, जिला पंचायतें, क्षेत्र पंचायतें व छावनी बोर्ड के सदस्य मतदान करते हैं। वर्ष 2016 के चुनाव में कुल 1,27,491 मतदाता थे। यह चुनाव 938 मतदान केंद्रों पर हुआ था। इस बार के चुनाव में यह संख्या करीब 1.40 लाख होने की उम्मीद है। आयोग द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार 30 विधान परिषद सीटों के लिए 15 मार्च से नामांकन दाखिल किए जाएंगे। 19 मार्च नामांकन दाखिले की आखिरी तारीख होगी। 21 मार्च को नामांकन पत्रों की जांच होगी। 23 मार्च तक नामांकन वापस लिए जा सकेंगे। अगर जरूरी हुआ और एक सीट पर एक से अधिक नामांकन हुए तो 09 अप्रैल को मतदान करवाया जाएगा।
12 अप्रैल को मतगणना करवाई जाएगी और परिणाम घोषित होंगे। पहले चरण में जिन 30 सीटों पर चुनाव होने हैं, उसमंे मुरादाबाद-बिजनौर,रामपुर-बरेली, बदायूं,पीलीभीत-शाहजहांपुर,हरदोई,खीरी,सीतापुर,लखनऊ-उन्नाव,रायबरेली, प्रतापगढ़,सुलतानपुर,बाराबंकी,बहराइच,आजमगढ़-मऊ, गाजीपुर, जौनपुर, वाराणसी, मीरजापुर-सोनभद्र,इलाहाबाद,बांदा-हमीरपुर,झांसी-जालौन-ललितपुर,कानपुर-फतेहपुर, इटावा-फर्रुखाबाद, आगरा-फिरोजाबाद, मथुरा-एटा-मैनपुरी, अलीगढ़, बुलंदशहर, मेरठ-गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर-सहारनपुर। बता दें मथुरा-एटा-मैनपुरी सीट से दो सदस्य चुने जाते हैं बाकी सभी निर्वाचन क्षेत्रों से एक-एक सदस्य का चुनाव होता है।
दूसरे चरण में गोण्डा,फैजाबाद,बस्ती-सिद्धार्थनगर,गोरखपुर-महाराजगंज, देवरिया और बलिया स्थानीय निकाय क्षेत्र की छह विधान परिषद सीटों के लिए नामांकन 15 मार्च से दाखिल होना शुरू होंगे। 22 मार्च नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख होगी। 23 मार्च नामांकन पत्रों की जांच होगी। 25 मार्च नामांकन वापसी की आखिरी तारीख तय की गयी है। नौ अप्रैल को मतदान होगा। 12 अप्रैल को मतगणना करवायी जाएगी। उसी दिन परिणाम की घोषणा जाएगी।