सही अर्थ पूर्ण जीवन जीने के लिए कर्म के साथ भाग्य विश्वास भी आवश्यक है-वैदिक विद्वान अतुल सहगल
गाजियाबाद,बुधवार 9 मार्च 2022,केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्त्वावधान में "कर्म और भोग" विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया । यह कोरोना काल में 369 वां वेबिनार था।
वैदिक विद्वान अतुल सहगल ने वैदिक विचारधारा के मुख्य सूत्र कर्म,कर्मफल,भाग्य और भोग के विषयों की व्याख्या करते हुए इस बात पर बल देते हुए कि इन विषयों पर मानव समाज में अनेक भ्रान्तियां हैं,उन्होंने कर्म और भोग के सिद्धांतिक और व्यवहारिक पहलुओं को प्रस्तुत किया l भौतिक जगत से अनेक उदाहरण लेते हुए,विषय के महत्वपूर्ण तथ्यों पर प्रकाश डाला।इस बात को सामने रखा कि सही और अर्थपूर्ण जीवन जीने के लिए कर्मयोगी होने के साथ साथ भाग्य में भी विश्वास आवश्यक है क्योंकि भाग्य कर्मों के ही द्वारा ईश्वरीय व्यवस्था में निर्मित होता है।जीवन को सही दिशा देने के लिए और समय का सदुपयोग करते हुए पुरुषार्थ करने के लिए उपर्युक्त विषय की सही और सटीक जानकारी महत्वपूर्ण है। साथ ही सही जानकारी के अभाव के जो दुष्परिणाम होते हैं,उनका भी खुलासा किया।प्राणायाम के द्वारा आयु बढ़ाने के तथ्य को सामने रखा।मानव जीवन के अंतिम लक्ष्य --मोक्ष को सामने रखते हुए भौतिक और अध्यात्मिक उन्नति की बात कही और कर्म व भोग के वैज्ञानिक तथ्यों को उसके साथ जोड़ा।
मुख्य अतिथि राज सरदाना व अध्यक्ष रजनी चुघ ने भी निष्काम कर्म करने पर बल दिया उन्होंने कहा कि भाग्य रेखा को भी कर्म से बदला जा सकता है।
केंद्रीय आर्य युवक परिषद के अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि मनचाहा फल उसने पाया जो आलसी बनकर पड़ा न रहा,अतः व्यक्ति को कर्मशील होकर कार्य करते रहना चाहिए।
राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि कर्म का फल अवश्य मिलता है लेकिन जो भोग भोगते है वह पूर्व कर्मो का फल है।
गायिका प्रवीना ठक्कर,ईश्वर देवी,रजनी गर्ग,आशा आर्या,सुदेश आर्या,रचना वर्मा,प्रतिभा कटारिया,चौ.मंगल सिंह आर्य, कुसुम भंडारी, पुष्पा शास्त्री आदि ने मधुर भजन प्रस्तुत किये।