अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। उन्होंने कहा था कितने अक्रांता आए लेकिन सनातन धर्म को खत्म नहीं कर पाए। उसी तरह ब्राह्मणों का कोई भी माई का लाल भक्षण नहीं कर सकता। कोई यह ना भूले कि हम सुदामा है लेकिन वक्त आने पर हमें परशुराम बनने में भी देर नहीं लगेगी।
अनूप मिश्रा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के भांजे हैं। उन्हें मध्य प्रदेश के 2018 विधानसभा उपचुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा था। इसके बाद से उन्होंने सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली थी। फिलहाल एक बार फिर वह राजनीति में सक्रिय हो गए हैं। जिसके बाद उनके एक बार फिर चुनावी मैदान में उतरने की अटकलें लगनी शुरू हो गई हैं। जब उनसे चुनाव लड़ने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि जिस तरह युद्ध से पहले योद्धाओं की भुजाएं फड़फड़ाने लगती हैं, वैसे ही हम राजनैतिक योद्धा चुनाव करीब देख सक्रिय हो जाते हैं। उन्होंने कहा 2023 में सियासत का महासमर होने वाला है तो ऐसे में स्वाभाविक है कि मैं चुनाव लड़ूंगा।
अनूप मिश्रा भी ग्वालियर चंबल से ताल्लुक रखते हैं और उनकी सियासत का केंद्र भी यही है। ऐसे में जब उनसे ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने अपने ही अंदाज में कहा कि घर में नया बच्चा आ जाने से शुरुआत के दिनों में तो लगता है कि मां का ध्यान उसकी तरफ नहीं है। लेकिन समय बीतने पर पता चलता है कि नन्हें बच्चे का पालन पोषण बेहतर ढंग से हो, इसलिए मां का ध्यान छोटे बच्चे पर था। वही काम भाजपा कर रही है। अभी सिंधिया को बीजेपी की रीति नीति समझाने का काम किया जा रहा है।
अनूप मिश्रा को ग्वालियर चंबल अंचल के बड़े ब्राह्मण नेताओं में गिना जाता है। इसके साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई का भांजा होने की वजह से उनकी एक अलग पहचान है। बीते दिनों मध्य प्रदेश बीजेपी के प्रभारी मुरलीधर राव ने अपने एक बयान में ब्रह्मणों और वैश्य समाज को लेकर ऐसा कुछ कह दिया था, जिस पर खूब हंगामा बरपा था। उस दौरान अनूप मिश्रा ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। उन्होंने कहा था कितने अक्रांता आए लेकिन सनातन धर्म को खत्म नहीं कर पाए। उसी तरह ब्राह्मणों का कोई भी माई का लाल भक्षण नहीं कर सकता। कोई यह ना भूले कि हम सुदामा है लेकिन वक्त आने पर हमें परशुराम बनने में भी देर नहीं लगेगी।