हाइलाइट्स
- तेलंगाना में सबसे ज्यादा 2.50 लाख और त्रिपुरा में सबसे कम 34 हजार है सैलरी।
- महाराष्ट्र और दिल्ली में भी मिलती है अच्छी सैलरी।
- रिटार्यमेंट के बाद मिलती है पेंशन और कई तरह की सुविधाएं।
- विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में एक राज्य के विधायी निकाय को राज्य विधानसभा कहा जाता है। जिस तरह केंद्र सरकार के पास विधायी निकाय के रूप में संसद होती है, उसी तरह राज्यों की अपनी-अपनी राज्य विधानसभाएं होती है। संसद की तरह ही हर 5 साल में होने वाले आम चुनाव में जीत हासिल कर ये विधानसभा तक पहुंचते हैं। जहां संसद द्वारा पारित कानून पूरे देश पर लागू होता है, वहीं राज्य विधानसभा द्वारा पारित कानून केवल उनके राज्य पर ही लागू होता है।
- अगर हम सीधे शब्दों में समझें तो एक सदनीय विधानमंडल का अर्थ विधानसभा से है, वहीं द्विसनीय प्रणाली में किसी विधानसभा के अलावा विधान परिषद भी होता है, जिसे क्रमशः निम्न सदन और उच्च सदन के नाम से जाना जाता है। जम्मू और कश्मीर का राज्य का दर्जा खत्म होने के बाद भारत के अंदर अब 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं। वहीं, 6 राज्यों में द्विसनीय राज्य विधायिका है। क्या आप जानते हैं कि इन विधायकों को कितनी सैलरी मिलती है, अगर नहीं तो आइए इस आर्टिकल के माध्यम से जानते हैं कि देश के हर राज्य के विधायकों को कितनी सैलरी मिलती है।
- विधायक किसे कहते हैं?
- विधानसभा विधायकों से मिलकर बना हुए एक संवैधानिक ढांचा है। सीधे तौर पर एक प्रतिनिधि निर्वाचन क्षेत्र के लोगों द्वारा चुना जाता है और वह विधान सभा का सदस्य बनता है। विधायक 5 साल के लिए चुने जाते हैं। एक प्रतिनिधि किसी पार्टी या स्वतंत्र रूप से विधानसभा चुनाव में भाग ले सकता है।
- सभी राज्यों में विधायकों की सैलरी अलग
- देश के सभी राज्यों में इन विधायकों को अलग अलग सैलरी मिलती है। इस समय भारत में सबसे अधिक सैलरी तेलंगाना के विधायकों को मिलती है। तेलंगाना देश का वो टॉप राज्य है जहां पर विधायकों की सैलरी और अलाउंसेज को मिलाकर प्रति माह 2.50 लाख रुपये सैलरी मिलती है। हालांकि उनकी सैलरी बस 20,000 रुपये ही है, मगर भत्ते के तौर पर उन्हें 2,30,000 रुपये मिलते हैं। वहीं सबसे कम सैलरी त्रिपुरा के विधायकों को मिलती है, इन्हें प्रतिमाह 34 हजार रुपये सैलरी मिलती है। हम कह सकते हैं कि कई राज्यों में इन विधायकों की सैलरी देश के प्रधानमंत्री से ज्यादा है।
इस सैलरी के अलावा विधायकों को कई अन्य सुविधाएं भी मिलती हैं। जैसे यूपी में एक विधायक को विधायक निधि के रूप में 5 साल के अन्दर 7.5 करोड़ रुपये खर्च करने के लिए मिलते हैं। विधायक को यह अधिकार भी मिला होता है कि वह अपने क्षेत्र में पानी की समस्या के समाधान के लिए 5 साल में 200 हैंडपंप भी लगवा सकता है, जबकि एक पम्प लगवाने का खर्च लगभग 50 हजार आता है। इसके अलावा रहने के लिए सरकारी आवास, मेडिकल सुविधा, यात्रा भत्ता, एक व्यक्ति के साथ ट्रेन में फ्री यात्रा और कार्यकाल ख़त्म होने के बाद विधायक को हर महीने 30 हजार रुपये पेंशन भी मिलता है।