आर्थिक प्रतिबंधों ने रूसी बाजार में कहर बरपाना शुरू किया, खाद्य वस्तुओं की खरीद की तय की जाएगी सीमा

आर्थिक प्रतिबंधों ने रूसी बाजार में कहर बरपाना शुरू किया, खाद्य वस्तुओं की खरीद की तय की जाएगी सीमा

यूक्रेन पर रूसी हमले के जवाब में लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों का असर अब देश की अर्थव्यवस्था पर दिखने लगा है। बैकों में कामकाज प्रभावित होने, एटीएम में लंबी लाइनों के बाद अब दुकानों में खाद्य सामग्रियों की खरीद की सीमा तय कर दी गई है।

बैंकों और एटीएम में लंबी लाइनें

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की आंच आम आदमी महसूस करने लगा है। देश में भुगतान तंत्र (पेमेंट सिस्टम) अब काम नहीं कर रहा है और नगदी निकासी को लेकर भी लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय निवासीने ‘एसोसिएटेड प्रेस’(एपी) से कहा,‘‘ एप्पल पे कल से काम नहीं कर रहा है। अब इससे बस में ,कैफे में,कहीं भुगतान नहीं हो पा रहा है।’’ 

रूबल को थामने की कोशिश 

आर्थिक प्रतिबंधों से लड़खड़ाती रूसी अर्थव्यवस्था को थामने और गिरती मुद्रा रूबल को मजबूती देने के लिए रूस के केंद्रीय बैंकों ने अप्रत्याशित तौर पर कई बड़े कदम उठाए हैं। 28 फरवरी, 2022 को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने विदेशों में नकद भेजने पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया, और निर्यातकों को अपनी कमाई का 80% रूबल में बदलना अनिवार्य कर दिया। सेंट्रल बैंक ऑफ रूस ने भी अपनी आधार ब्याज दर 9.5% से बढ़ाकर 20% कर दी है। इससे रूबल को स्थिर करने में मदद मिलनी चाहिए लेकिन व्यवसायों के लिए उधार लेना अधिक महंगा हो जाएगा और इस तरह एक गहरी मंदी की संभावना बढ़ जाएगी। 

 गौरतलब है कि पुतिन के युद्ध की निंदा करते हुए पश्चिमी देशों ने रूस के वित्तीय संस्थानों और व्यक्तियों को लक्षित करते हुए कुछ आर्थिक प्रतिबंधों की घोषणा की है। इन प्रतिबंधों में कुछ रूसी बैकों को अंतरराष्ट्रीय भुगतान के लिए इस्तेमाल की जाने वाली ‘स्विफ्ट’ संदेश प्रणाली से हटाना, रूसी कंपनियों और उद्योगियों की पश्चिमी देशों में मौजूद संपत्ति को फ्रीज करना और रूस के केंद्रीय बैंक को 630 अरब डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल करने से रोकना शामिल है। इन कदमों के बाद कई रेटिंग एजेंसियों ने रूस की क्रेडिट रेटिंग को कम करके ‘जंक स्टेटस’ (निवेश अधिक खतरे में) कर दिया है या संकेत दिया है कि जल्द वे ऐसा करेंगी। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो वे मानती हैं कि रूस द्वारा कर्जे का भुगतान करने में चूकने की आशंका पहले से अधिक है।