क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141
आराम से जीना हो तो सरकारी नौकरी बढ़िया है लेकिन सारे जहां से अच्छे हमारे देश में सरकारी नौकरी मिलना भी तो मुश्किल है और रिटायर होने के बाद आराम से रहना तो और भी। हम रिटायर होकर आए ही थे कि एक पुराने घिसे पिटे रिटायरी मिल गए बोले कहां रहते हो।
क्या करेंगे, उन्हें मेरा कहा समझ नहीं आया। मैंने कहा पत्नी का कहना ज़्यादा मानना शुरू करूंगा, घर के कामों में हाथ बटाउंगा। बोले वो तो करना ही पड़ेगा। कोई नौकरी कर लो। इतने में पत्नी का फोन आ गया, सब्जी, आलू और प्याज़ ले आना, सब्जी छांट कर लाना। प्याज़ आधे बड़े लाना आधे छोटे छोटे लाना। फोन बंद ही किया था पुराना गंजा क्लासमेट मिल गया, आ गया रिटायर होकर, फेसबुक पर तो दिखा नहीं। हमने कहा फेस बुक तो फेक न्यूज़ की तरह फेक है। हम तो फेस टू फेस हैं प्यारे। उसने कहा फेसबुक पर आजा पूरा दिन बढ़िया जाएगा। अपने गंजे सिर पर बचे लिपटे छियासी बालों पर हाथ फेरते हुए, मेरे दोस्त के चेहरे पर क्या संतुष्टि थी। हम अच्छा कहकर निकले।
बाग़ में सुबह की सैर करते, रिटायरमेंट से जूझते एक और दोस्त मिले, बोले आ गए छूट कर। लगा जैसे सरकारी नौकरी से रिटायर होकर नहीं जेल से छूटकर आया हूं। वे बोले यार सरकारी नौकरी में बहुत इज्ज़त रहती थी। घर पर सारी चीज़ें समय पर मिलती थी, कितने लोग सलाम करते थे। आजकल क्या शगुल है मैंने कहा। बोले अब तो अच्छे से कपड़े प्रेस करना सीख लिया है। अनार के दाने निकाल निकाल निकाल कर ग़ज़ब की सहन शक्ति उग आई है। तुम्हें लिखने का शौक भी तो....? दोस्त बोले, मुझे अच्छी तरह समझा दिया गया है कि अब न कहानियां लिखने की ज़रूरत है न कहानियां डालने की। इससे पहले कि कोई और मिले और मुझे ज़्यादा ‘टायर’ कर दे मैंने जल्दी से सब्जी मंडी का रुख किया जहां से अपनी पत्नी की पसंद की सब्जी, आलू और प्याज़ लाने थे।