क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141
आईआईएससी और मेलबर्न विश्वविद्यालय अगले पाँच वर्षों के लिए हर साल 10 संयुक्त पीएच.डी. उम्मीदवारों को सहयोग करेंगे। पीएच.डी. कार्यक्रम में नामांकित छात्र प्रत्येक संस्थान में 12 से 24 महीने तक रहकर अध्ययन कर सकते हैं। पीएच.डी. के सफल समापन पर, एक संयुक्त प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा।
आईआईएससी के अंतरराष्ट्रीय संबंध कार्यालय प्रमुख एवं मैटेरियल इंजीनियरिंग विभाग के संकाय सदस्य प्रोफेसर प्रवीण कुमार ने कहा, "हम एक अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के साथ हमारे पहले संयुक्त डॉक्टरेट कार्यक्रम के लिए मेलबर्न विश्वविद्यालय के साथ साझेदारी से उत्साहित हैं। यह साझेदारी आईआईएससी और मेलबर्न विश्वविद्यालय; दोनों संस्थानों के छात्रों को महत्वपूर्ण शोध परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करेगी, और उन्हें इन संस्थानों के विशेषज्ञों से सीखने का एक अनूठा अवसर प्रदान करेगी। मेलबर्न विश्वविद्यालय और एमआईपीए, लंबे समय से हमारे अकादमिक और शोध साझीदार रहे हैं, और हम नये एवं विविध क्षेत्रों में उनके साथ अपने सहयोग को जारी रखने के लिए तत्पर हैं।”
मेलबर्न विश्वविद्यालय के उप-कुलपति (अंतरराष्ट्रीय) प्रोफेसर माइकल वेस्ले ने कहा, “आईआईएससी में अपने सहयोगियों के साथ संयुक्त पीएच.डी. कार्यक्रम में पहला वैश्विक विश्वविद्यालय भागीदार बनकर हमें खुशी हुई। दोनों संस्थानों की विशेषज्ञता के साथ, हम कुछ महत्वपूर्ण अनुसंधान, और अनुसंधान प्रशिक्षण परियोजनाओं को विकसित करने पर काम कर रहे हैं, और चिकित्सा के क्षेत्र में भी संयुक्त कार्यक्रम का विस्तार करने के इरादे की घोषणा करना हमारे लिए सम्मान की बात है।”
इस साझेदारी के अंतर्गत आईआईएससी और मेलबर्न विश्वविद्यालय अगले पाँच वर्षों के लिए हर साल 10 संयुक्त पीएच.डी. उम्मीदवारों को सहयोग करेंगे। पीएच.डी. कार्यक्रम में नामांकित छात्र प्रत्येक संस्थान में 12 से 24 महीने तक रहकर अध्ययन कर सकते हैं। पीएच.डी. के सफल समापन पर, एक संयुक्त प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा। नामांकन के लिए, स्नातक शोधकर्ताओं को भारतीय विज्ञान संस्थान और मेलबर्न विश्वविद्यालय, दोनों संस्थानों में पीएच.डी. के लिए प्रवेश-अर्हता को पूरा करना होगा।
पीएच.डी. कार्यक्रम का उद्देश्य दोनों संस्थानों के बीच अनुसंधान सहयोग को मजबूत करना है। मेलबर्न विश्वविद्यालय के प्रोफेसर उदय परमपल्ली और आईआईएससी के एसोसिएट प्रोफेसर सुधन मांझी का संयुक्त कार्य इसका उदाहरण है, जिसमें उन्होंने आईआईएससी, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर, आईआईटी मद्रास और आईआईटी खड़गपुर को शामिल करते हुए एक कोडिंग, सेंसिंग और संचार (सीएससी) अनुसंधान नेटवर्क स्थापित किया है। इस नेटवर्क, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप और सिंगापुर के लिंक भी हैं, का उद्देश्य साइबर सुरक्षा और संचार से जुड़े नवीन अनुप्रयोगों में अनुसंधान को आगे बढ़ाना है।