क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141
खराब गोलचक्कर ग्रेटर नोएडा को बनते हुए देखने वाले अनेक सुधीजनों को यह शहर एक गोलचक्कर ही नजर आता है। यदि उपग्रह से देखें तो भी यह एक सुदर्शन चक्र जैसा है जिसमें अनेक चक्र हैं। अब इस शहर के कई गोलचक्कर समस्या बन चुके हैं। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के नये टीम लीडर (मुख्य कार्यपालक अधिकारी) सुरेंद्र सिंह ने दायित्व संभालने के पहले दिन ही इस समस्या को पॉइंट आउट किया।वे मेरठ मंडल के आयुक्त भी हैं। गौतमबुद्धनगर आते जाते उन्हें यह समस्या नजर आती रही होगी जिसे उन्होंने पहले दिन ही दूर करने का अपना इरादा जाहिर किया है। उन्होंने चार सड़कों के संयोजन पर गलत तरीके से बनाए गए कई गोलचक्करों को ध्वस्त कर ठीक कराने की घोषणा की। सड़कों पर चौराहे के बजाय गोलचक्कर बनाने की परिकल्पना नई दिल्ली के योजनाकार लुटियन की थी। उन्होंने निर्बाध यातायात के लिए गोलचक्कर बनाने को उचित समझा।
यह आजादी मिलने से भी पहली बात है।तब सड़कों पर यातायात के वैसे दबाव की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। लगभग एक सदी के बाद घने यातायात को निर्बाध रखने के लिए गोलचक्करों की परिकल्पना अनुपयोगी और कालातीत हो चुकी है। दिल्ली से लेकर नोएडा और ग्रेटर नोएडा के अनेक गोलचक्कर बंद कर दिए गए हैं। केवल अच्छे लगने के लिए सड़कों पर गोलचक्कर बनाए रखने का मोह नहीं छोड़ा जा रहा है। चौराहे बनाए जाने से भी समस्या पैदा होती इसके स्थान पर यू टर्न और स्लिप रोड बनाए जाने से यातायात सुगम किया जा सकता है।ग्रेटर नोएडा के नये मुखिया कुछ गोलचक्करों को दुरुस्त कराने की बात कर रहे हैं। शायद यह फौरी तौर पर तो ठीक हो परंतु लंबे समय के लिए इसकी व्यवहारिकता नहीं होगी।
-राजेश बैरागी-