समुद्र से प्लास्टिक का सफाया करेगी रोबो फिश:13 मिमी. लंबी मछली 5 किग्रा. भारी प्लास्टिक उठाएगी; खुद के घाव भरने में भी सक्षम

क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता 9837117141

दुनिया में प्लास्टिक पॉल्यूशन का कहर बढ़ता जा रहा है। इसके चलते समुद्र में माइक्रोप्लास्टिक साफ करने के लिए चीन की सिचुआन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक रोबोट फिश बनाई है। ये पानी में तैरकर प्लास्टिक के टुकड़े एक जगह से उठाकर दूसरी जगह रखने में सक्षम है।

पहले जान लें, क्या है माइक्रोप्लास्टिक?

माइक्रोप्लास्टिक 5 मिलीमीटर या इससे छोटे प्लास्टिक के टुकड़े होते हैं। यह इतने छोटे होते हैं कि बिना मैग्निफाइंग ग्लास के इन्हें आंखों से देख पाना मुश्किल है। वैज्ञानिक इन पार्टिकल्स के प्रभाव को कम करने की कोशिश कर रहे हैं। ये पानी, खाने के सामान और जमीन की सतह जैसी जगहों में मौजूद रहते हैं। इनके जरिए ये शरीर में पहुंचते हैं।

कैसे काम करती है रोबोट फिश?

रोबो फिश एक सेकंड में तकरीबन 30 मिलीमीटर तक तैर लेती है।

रोबो फिश मात्र 13 मिलीमीटर लंबी है। इसकी पूंछ में लेजर लाइट सिस्टम है, जिसकी मदद से यह तैरती है और एक सेकंड में तकरीबन 30 मिलीमीटर तक आगे बढ़ जाती है। गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक रोबोट को बनाने के लिए रिसर्चर्स ने एक ऐसे मटेरियल का इस्तेमाल किया है, जिससे यह मछली काफी फ्लेक्सिबल बन गई है।

रोबो फिश एक बार में 5 किलोग्राम तक प्लास्टिक उठा सकती है। इसके साथ ही यह माइक्रोप्लास्टिक के तैरते हुए उन टुकड़ों को एब्जॉर्ब कर लेती है, जिनमें ऑर्गेनिक डाई, एंटी बायोटिक्स और हेवी मेटल होता है। यह चीजें फिश के मटेरियल से रिएक्ट कर जाती हैं।


खुद का घाव भर सकती है रोबो फिश

रिसर्च में शामिल युयान वैंग ने बताया कि रोबो फिश सेल्फ-हील यानी खुद के घाव भरने में सक्षम है। इसे बनाने में जो मटेरियल इस्तेमाल हुआ है, इसकी मदद से यह डैमेज होने पर 89% तक अपने आप ही ठीक हो जाती है। समुद्र के वातावरण में अक्सर रोबोट्स के खराब होने की आशंका होती है।

समुद्र में करोड़ों मेट्रिक टन प्लास्टिक मौजूद

एक रिसर्च के मुताबिक, अक्टूबर 2021 तक समुद्र में करीब 24 लाख करोड़ माइक्रोप्लास्टिक के टुकड़े हैं।

ऐसा अनुमान है कि समुद्र में हर साल 50 लाख से 1.3 करोड़ मेट्रिक टन प्लास्टिक पॉल्यूशन बढ़ रहा है। यह प्लास्टिक के मलबे से लेकर माइक्रोप्लास्टिक तक होता है। जापान की क्युशु यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की मानें तो अक्टूबर 2021 तक समुद्र में करीब 24 लाख करोड़ माइक्रोप्लास्टिक के टुकड़े हैं। ये कीड़े-मकौड़े से लेकर इंसानों तक, सभी के लिए खतरनाक है।