क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141
गुजरात. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को गुजरात के पावागढ़ में कालिका माता मंदिर में 500 साल बाद ध्वज फहराई। मूल मंदिर 11वीं सदी में बना था। 15वीं सदी में इसके शिखर को गुजरात के सुल्तान रहे महमूद बेगड़ा ने नष्ट कर दिया था। मंदिर के ऊपर पीर सदनशाह की दरगाह बना दी गई थी। महमूद बेगड़ा को जहरीला सुल्तान भी कहा जाता था।
महमूद बेगड़ा युद्ध जीतने के बाद राजाओं से इस्लाम कुबूल करवाता था
महमूद बेगड़ा गुजरात का छठा सुल्तान था। उसका पूरा नाम अबुल फत नासिर-उद-दीन महमूद शाह प्रथम था। 13 साल की उम्र में गद्दी पर बैठा और 52 साल (1459-1511 ई.) राज किया। कट्टर इस्लामी शासक बेगड़ा जहर खाने और राक्षसी भोजन के लिए कुख्यात था।
बेगड़ा गुजरात के सबसे शक्तिशाली शासकों में से एक था। काफी कम वक्त में जूनागढ़ और पावागढ़ जैसे इलाकों पर उसने कब्जा कर लिया था। कहा जाता है कि जीत हासिल करने पर बंदी राजा से वह इस्लाम कबूल करवाता था और इनकार करने पर मौत के घाट उतार देता था।
रेनोवेशन के बाद पावागढ़ का महाकाली मंदिर परिसर 30 हजार वर्ग फीट में फैला है
महमूद को बेगड़ा की उपाधि गिरनार जूनागढ़ और चम्पानेर के किलों को जीतने के बाद मिली थी। उसके राज में अनेक अरबी-ग्रंथों का फारसी में अनुवाद किया गया। उसका दरबारी कवि उदयराज था, जो संस्कृत का कवि था।
बचपन में बेगड़ा को खाने के साथ कम मात्रा में जहर भी दिया जाता था, ताकि उसे नुकसान न हो। बाद में बेगड़ा का पूरा शरीर जहरीला हो गया। उस दौरान बेगड़ा के शरीर पर बैठने मात्र से मक्खी मर जाती थी।
इटालियन यात्री लुडोविको डि वर्थेमा की किताब ‘इटिनेरारियो डी लुडोइको डी वर्थेमा बोलोग्नीज’ में जहर खाने की बात का जिक्र है। वर्थेमा लिखते हैं कि जब भी बेगड़ा को किसी को मारना होता था ताे वह उस व्यक्ति के कपड़े उतरवाकर उसके सामने पान खाता था और थोड़ी देर बाद उस व्यक्ति पर थूक देता था। आधे घंटे बाद ही उस व्यक्ति की मौत हो जाती थी।
कहा जाता है कि महमूद बेगड़ा की भूख राक्षसी थी। वो दिन में 35 किलो खाना खाता था। इसमें मिठाई, मीठे चावल, शहद और मक्खन होता था। बेगड़ा एक दिन में 12 दर्जन से ज्यादा केले खा जाता था। जाहिर है ये बढ़ा-चढ़ाकर कही गई बातें हैं, लेकिन बेगड़ा की भूख में कुछ तो ऐसा था जिसकी वजह से ऐसी कहानियां बनाई गईं।