क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141
शोधकर्ताओं ने यह सर्वे एनएसएफ की NOIR लैब के कार्यक्रम के तहत किया था. उन्होंने चिली के जेमिनी साउथ वेधशाला का उपयोग कर ग्रहों की जानकारी की पड़ताल की जिससे वे संभावित गुरु ग्रह के भार के ग्रह और दो भूरे बौने के अस्तित्व की पुष्टि कर सके. ये तस्वीरें अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी की 240 वीं मीटिग में प्रस्तुत की गईं.
अलग अलग तरह की चक्रिकाएं
शोधकर्ताओं ने जैमिनी साउथ टेलीस्कोप से तस्वीरें ली जो 44 युव विशाल तारों के सर्वे का हिस्सा थीं इसके लिए उनहोंने जैमिनी प्लैनेट उपकरण का उपयोग किया. जिससे ग्रह निर्माण की धूल वाली चक्रिकाओं की तस्वीरें भी हैं जो नए सौरमंडल में बदल सकती हैं. सर्वे में पाया गया है कि सूर्य से तीन गुना भारी तक के तारे की रिंग होने की संभावना होती है जबकि उससे भारी तारों के रिंग नहीं होती है.
अलग अलग तरह ग्रहों को निर्माण
इस तरह से वैज्ञानिकों को पता चला कि ग्रह निर्माण प्रक्रिया में विविधता आ जाती है. और विशाल तारों के ग्रह अलग तरह से बनते हैं. धूल और गैस की चक्रिका में बनने वाले ग्रह युवा तारों के चक्कर लगाते हैं जो केवल कुछ लाख साल की उम्र के ही होते हैं. जीपीआई दुनिया में ऐसे उपकरणों में से एक है जो ऐसी चक्रिकाओं का पता लगा सकता है.

पहले के अवलोकनों ने दर्शाया है कि इन चक्रिकाओं में धूल के छोटे बड़ी कणों और गैस से बनी रिंग्स बहुत आसानी से देखने को मिलती है. ये रिंग कैसे बनती हैं यह तो अभी पता नहीं चला है, लेकिन उनकी चक्रिका से अंतरक्रिया से ही नए ग्रह बनते हैं. जेमिनी LIGHTS नाम के इस सर्वे में शोधकर्ता इसी तरह के सवालों के जवाब उच्च विभेदन वाली तस्वीरों के अध्ययन के जरिए तलाश रहे हैं.
सूर्य से बड़े तारों पर ध्यान
एस्ट्रोनॉमिकल जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के प्रमुख लेखक और यूनिवर्सिटी ऑफ मिशीगन के शोधकर्ता ईवान रिच ने बताया कि वे ग्रह कैसे बनते हैं जैसे मूलभत प्रश्नों के उत्तर जानना चाहते थे. जैमिनी LIGHTS सर्वे उन तारों पर ध्यान केंद्रित करता है जो सूर्य से भारी हैं जिससे वे तारे के भार का ग्रह निर्माण प्रक्रिया में प्रभाव की पड़ताल की जा सके.

सूर्य (Sun) से तीन गुना से ज्यादा बड़े तारों के ग्रहों का निर्माण अलग तरह से होता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
और भी खोज
जैमिनी साउथ ने चक्रिकाओं की नियर इंफ्रारेड और ध्रुवीकृत प्रकाश में तस्वीरें लीं. उन्होंने 44 विशाल तारों में से 80 प्रतिशत तारों में चक्रिका पाई और एक नए ग्रह की भी खोज करने के साथ साथ साथ तीन भूरे बौने भी खोजे. इनमें से दो की खोज पहले के अवलोकनों में हुई थी लेकिन इस बार उनकी पुष्टि की जा सकी. तीसरा HD 101412 नाम का भूरा बौना तारा बिलकुल नई खोज रहा.
इस सर्वे की प्रमुख खोज यह रही कि चक्रिकाएं अपने तारे के भार के आधार पर अलग अलग बर्ताव करती हैं . छोटी धूल के कणों वाली रिंग के तंत्र केवल उन्हें तारों में होते हैं जिनका भार सूर्य के भार से तीन गुना भार से कम होता है. यह ग्रह निर्माण के लिहाज से बहुत अहम जानकारी है. क्योंकि ग्रह निर्माण के बारे में माना जाता रहा है कि वे रिंग संरचना के जरिए बनते हैं, लेकिन यह अध्ययन बताता है कि बड़े तारों में यह प्रक्रिया कुछ अलग हो सकती है.