क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141
समाज में सुख शांति अविद्या के नाश से ही सम्भव है-योगाचार्य श्रुति सेतिया
गाजियाबाद, आशीष वाल्डन, शुक्रवार 17 जून 2022. केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "अविद्या व्यक्ति,परिवार व समाज का शत्रु" विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।यह कोरोना काल में 410 वाँ वेबिनार था ।
योगाचार्या श्रुति सेतिया ने कहा कि संसार के तीन प्रमुख शत्रु है-प्रथम अज्ञान व अविद्या, दूसरा-अन्याय शोषण व अत्याचार तीसरा - अभाव। अज्ञान व अविद्या को दूर करने का दायित्व ब्राह्मण का होता है। अन्याय और अभाव को दूर करना क्षत्रिय तथा वैश्य का कर्तव्य होता है। अज्ञान व विद्या से जुड़ी सभी बातें मनुष्य समाज देश और संसार के प्रमुख शत्रु हैं।इनका नाश किए बिना मनुष्य व समाज, विश्व आदि के जीवन में सुख व शांति स्थापित नहीं हो सकती। जो समाज अज्ञान व अविद्या से रहित पूर्ण ज्ञानवान होगा वह सर्वाधिक उन्नत व विकसित होगा।शास्त्रों में भी कहा है कि संसार में ज्ञान से पवित्र और मूल्यवान कुछ भी पदार्थ नहीं है। महर्षि दयानंद जी ने मूर्ति पूजा को असत्य व अज्ञान से पूर्ण कृत्य बताया और घर का त्याग कर देश में भ्रमण कर सभी विद्वानों और योगियों की संगत से इस जीवात्मा और सृष्टि विषयक सत्य ज्ञान को प्राप्त करने के लिए अपूर्ण पुरुषार्थ किया। ज्ञान व विद्या पदार्थों के सत्य ज्ञान को कहते हैं। जिस व्यक्ति को सभी प्रकार का ज्ञान होता है वह पदार्थों से लाभ प्राप्त कर सकता है और जिसको ज्ञान नहीं होता तो वह अपनी हानि तो करता ही है और साथ ही समाज की भी हानि करता है। अतः मनुष्य के ज्ञान प्राप्त करने में सर्वदा उद्धत,सतर्क एवं प्रयत्न शील रहना चाहिए।महर्षि दयानंद ने आर्य समाज की स्थापना कर उसके नियमों में प्रावधान किया कि अविद्या का नाश और विद्या की वृद्धि करनी चाहिए।सभी मनुष्यों को अपने स्वरूप तथा अन्य पदार्थों के सत्य स्वरूप व गुण,कर्म तथा स्वभाव और सभी विषयों का ज्ञान विद्या से होता है। मैं कौन हूं ? यह संसार क्या है ? किसने बनाया है? कौन इसका संचालन व पालन कर रहा है? ऐसे सभी प्रश्नों के उत्तर विद्या से प्राप्त होते हैं।जिनको उत्तर ना ज्ञात हो ऐसे लोगों को अपनी अविद्या को दूर करने के लिए ज्ञानी व विद्वान गुरु की तलाश करनी चाहिए।वैदिक साहित्य वेद,दर्शन,उपनिषद् आदि का अध्ययन करना चाहिए।स्वामी दयानंद जी सत्य के पुजारी थे इसी कारण उन्होंने कहा कि अविद्या ही संसार में एक से अधिक मत होने के कारण है। यह सुनिश्चित है कि विश्व से सभी दुखों की निवृत्ति तभी होगी जब संसार में अविद्या और अज्ञान को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाएगा।ऐसा होने पर मनुष्य सुख शांति व अभय का जीवन व्यतीत कर अभ्युदय व निःश्रेयस को प्राप्त होगा ।
मुख्य अतिथि उर्मिला आर्या (गुरुग्राम) व अध्यक्ष राजश्री यादव ने सत्य विद्या के प्रचार प्रसार का संदेश दिया।केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के अध्यक्ष अनिल आर्य ने कुशल संचालन किया व राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने आभार व्यक्त किया।
गायक रविन्द्र गुप्ता, दीप्ति सपरा, सुनीता अरोड़ा, रजनी चुघ, प्रवीना ठक्कर, सुमन गुप्ता, कमला हंस,सरला बजाज,प्रतिभा कटारिया, जनक अरोड़ा, कमलेश चांदना, कुसुम भंडारी, ईश्वर देवी आदि के मधुर भजन हुए ।