उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी रिपोर्ट में ई श्रेणी में हुई शामिल

 क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता 9837117141

- उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी रिपोर्ट में ई श्रेणी में हुई शामिल

- नगर निगम की ओर से भी नालों को नहीं कराया गया बंद, प्रस्ताव पास होने के बाद भी नहीं हुआ काम

गाजियाबाद, आशीष वाल्डन। जिले की जीवन रेखा कही जाने वाली हरनंदी नदी डी से ई श्रेणी में पहुंच गई है। यानी अब नदी मृतप्राय बन गई है। यह खुलासा नेशनल वाटर क्वालिटी मानिटरिग प्रोग्राम के तहत किए गए सर्वे के बाद यूपीपीसीबी की रिपोर्ट से हुआ है। दो महीने पहले उत्तर प्रदेश की सभी नदियों के पानी की जांच कर रिपोर्ट तैयार की गई थी। पानी की गुणवत्ता के आधार पर नदियों को ए से लेकर ई तक श्रेणी बांटा गया है। हिंडन को सबसे प्रदूषित नदी की श्रेणी में रखा गया है।


हरनंदी को बचाने के लिए लंबे समय से जिले की सरकारी एजेंसियां, प्रशासन और पर्यावरण विद प्रयास कर रहे हैं। हालांकि यह प्रयास जमीनी स्तर पर कम कागजों में ज्यादा रहा। पर्यावरणविद व अधिवक्ता आकाश वशिष्ट बताते हैं कि 2010 में उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने नदी में गिर रहे गंदे व केमिकलयुक्त पानी को गिरने से रोकने के लिए एसटीपी बनाने के आदेश नगर निगम और प्रशासन को दिए थे। इसके बाद नगर निगम में कई बार बोर्ड बैठक में मुद्दा उठा और प्रस्ताव भी पास कराए गए लेकिन अभी तक एसटीपी बना ना हरनंदी को बचाने के लिए कोई ठोस कदम उठाए गए। नदी अब नाला बन चुकी है इसमें ऑक्सीजन का स्तर शून्य हो चुका है। हरनंदी के साथ ही काली नदी और गोमती नदी को भी इस रिपोर्ट में सबसे प्रदूषित नदियों की श्रेणी में शामिल किया गया है।
इन स्थानों पर गिर रहे नाले
जिले की सीमा में करहेड़ा, मोहन नगर, छिजारसी, नंदग्राम, अर्थला, श्मशान घाट के, पास समेत दस स्थानों पर नाले हरनंदी में गिर रहे हैं। करहेड़ा के पास नदी के पानी की गुणवत्ता की जांच की गई तो यहां घुलित आक्सीजन की मात्रा 0.5 मिलीग्राम प्रतिलीटर व मोहननगर के पास 0.7 मिलीग्राम प्रतिलीटर पाई गई। जबकि छिजारसी के पास शून्य पाई गई। ऐसे में जलीय जीवों के लिए भी पानी अब अनुकूल नहीं रहा।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी उत्सव शर्मा का कहना है कि हिंडन में 10 नालों का पानी गिर रहा है। तीन नालों के पानी को टैप करने की योजना नगर निगम ने बनाई है। औद्योगिक इकाइयों का पानी और कचरा नदी में न डाला जाए, इसके लिए सभी फैक्टरियों को नोटिस देकर निर्देशित कर दिया गया है।

हरनंदी नदी की सफाई के लिए योजना बनाई गई है। नदी के किनारे पौधारोपण कराया जाएगा। नदी में प्रदूषित पानी न डाला जाए इसके लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है।
- राकेश कुमार सिंहए जिलाधिकारी।

06 मिलीग्राम प्रतिलीटर होना चाहिए घुलित ऑक्सीजन
रिपोर्ट के अनुसार पानी में कम से कम 06 मिलीग्राम प्रतिलीटर घुलित ऑक्सीजन की मात्रा होना अनिवार्य है। इससे कम मात्रा होने पर पानी किसी काम का नहीं रह जाता है। ---------
स्वच्छता योजनाएं हुईं धड़ाम
साहिबाबाद। प्रशासन, नगर निगम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तमाम जद्दोजहद के बावजूद हरनंदी नदी स्वच्छ नहीं हो पा रही हैं। इस बीच नेशनल वाटर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग प्रोग्राम की रिपोर्ट ने लापरवाही को फिर से उजागर कर दिया है।
रिपोर्ट की बात करें तो हरनंदी नदी के प्रदूषित होने में कई कारण सामने आए हैं। इसमें सबसे पहले शहर के नालों का गंदा पानी नदी में बहाया जाता है। सीवर का गंदा पानी भी छोटे-छोटे नालों से नदी के अंदर पहुंचता है। औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला प्रदूषित पानी भी नदी में धड़ल्ले से बहाया जा रहा है। हालांकि अधिकारी नदी को साफ रखने के लिए विभिन्न तरह के दावे करते हैं लेकिन हकीकत में दावा कहीं नजर नहीं आ रहा है।

एसटीपी के लिए डीपीआर भेजी जा चुकी है। बजट का इंतजार किया जा रहा है। उम्मीद है कि जल्द पैसा मिल जाएगा और काम शुरू हो जाएगा।
योगेंद्र यादव, अधिशासी अभियंता, नगर निगम