अब तो इत्र भी लगाओ तो खुशबू नहीं आती

  क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141


कभी फूफा की व्यथा समझे हैं ..??

महसूस किए हैं फूफा होना ..??

वो दामाद जिसके लिए पूरा ससुराल पलक पावड़े बिछा के कभी इंतजार करता रहता था ...!!

वो दामाद जिसकी हर ख्वाहिश ससुराल में पूरी की जाती रही हो ...!!

ससुराल पहुंचते ही अच्छे से अच्छे पकवान ... साले सलियाँ की फौज आवभगत में लगी रहती हो ..!!

बिस्तर पे साफ सुथरी चद्दरें बिछी रहती  हों ..!

शौच फराकत के बाद हाथ धुलवाने को तीन तीन लोग खड़े रहते हों ..!

 ऐसे दामाद का ...फूफा बनने के बाद  सीधे डिमोशन हो जाता है ..!!

उसे ये संसार नश्वर लगने लगता है ...!!

दुनिया फानी महसूस होती है ..!!

सास ससुर गुजर चुके होते हैं ... सलियाँ ब्याह के जा चुकी होती हैं ... साले सलहज ..पनौती समझने लगते हैं ..!!

मन व्यथित हो जाता है ... रोने का मन करता है ... पुराने दिन याद करके मन भावुक हो जाता है ..!!

मदनी साहब उसी तरह कल भावुक हो गए .!!

देश के मौला लोग दामाद से फूफा बन चुके हों .!!


याद करिए जब राहुल .. सोनिया ... मुलायम .. मायावती .... उम्मीदवारों की लिस्ट मदनी से पूंछ के फाइनल करते थे ..!!

सपाई बसपाई कांग्रेसी  जब अपने बच्चों के  लिए रिश्ता खोजने भी जाते तो ... इनसे सलाह कर के ही जाते होंगे ... आखिर ये देश के दामाद जो ठहरे ...!!

कौन मंत्री बनेगा ..कौन थानेदार ... मदनी जैसे लोग तय करते थे ..!!

विदेश नीति ... बुखारी औऱ मदनी जैसे मौलानाओ के हाथ मे होती थी ..!!

इन्होंने 60 सालों तक इजरायल को मान्यता नहीं दी ।।

आखिर दामाद को कांग्रेस / नेहरू नाराज कैसे कर सकते थे ..??

हमारे मंदिरों से मदनी जैसे मौलाना ...मुलायम काल मे लाउडस्पीकर उतरवा देते थे ... राम सेवकों पे गोलियां चलवाते थे ।।

कहाँ गए वो दिन ..???

क्या से क्या हो गए .. मदनी .??

दमाद का दर्जा हटते ही सारा जीवन.. मुफत के  दो किलो गेहूं और तीन किलो चावल पे आके टिक गया ..!।

वो दिन हवा हुए जब पसीना गुलाब था ।।

अब तो इत्र भी लगाओ तो खुशबू नहीं आती ।।