क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141
गाजियाबाद, आशीष वाल्डन. दुर्गा भाभी का असली नाम दुर्गावती देवी था। दुर्गा भाभी का जन्म 07 अक्टूबर, 1907 को उत्तर प्रदेश के शहजादपुर गांव में हुआ था। दुर्गावती भारत की आजादी और ब्रिटिश सरकार को देश से बाहर खदेड़ने के लिए सशस्त्र क्रांति में सक्रिय भागीदार थीं। जब वह भगत सिंह और उनके दल में शामिल हुईं तो उन्हें आजादी के लिए लड़ने का मौका भी मिल गया। भारत की आजादी के लिए अपनी जान की परवाह किए बिना अंग्रेजो से लड़ने वालों में महिला स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का भी विशेष महत्व है। देश की आजादी की लड़ाई के लिए महिलाओं ने खुद को बलिदान कर दिया था। झांसी की रानी, अहिल्या बाई और कई दमदार व्यक्तित्व की महिलाओं की जाबांजी का भारतीय इतिहास गवाह है। इन महिलाओं में एक नाम भी शामिल हैं, वह हैं दुर्गावती का।
इस अवसर पर दुर्गा भाभी के भतीजे जगदीश भट्ट जी द्वारा स्मरण करते हुए उनके जीवन काल की विभिन्न उपलब्धियों से सभागार में उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों एवं बच्चों को अवगत कराया गया। उन्होंने दुर्गा भाभी की जिंदगी के खट्टे मीठे पलों को याद करते हुए कहां की दुर्गा भाभी का जनपद गाजियाबाद से विशेष लगाव रहा है। इस अवसर पर जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने कहा कि स्वातंत्रता संग्राम सेनानियों से हम सभी परिचित है। उनको लेकर जब भी कोई कार्यक्रम करते है, जो उसके पीछे मुख्य उद्देश्य यह होता है कि जिन आर्दशों, विचारों को ले करके स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने निष्कपट संघर्ष करके देश को आजादी दिलाई उनकों ध्यान में रखा जाए। उन्होंने कहा कि किस तरह उन्होंने देश की भलाई के लिए अपने प्राण दाँव पर लगाए या हँसते- हँसते न्योछावर कर दिए। आजादी की लडाई लड़ते समय स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों ने आने वाली पीढियों के लिए यही सोचा होगा कि हम लोग देश को अपने विचारों व आचरणों से नई उचाईयों पर ले जाए क्योकि जब गुलामी झेल रहे थे तब देश वासियों को निर्णय लेने के अधिकार नहीं थे। अब हमारे पास सभी अधिकार है। हम अपने हिसाब से सोच सकते है, योजना बना सकते है साथ ही उन योजनाओं को धरातल पर भी उतार सकते है। अब हमारे ऊपर किसी का भी दवाब नहीं है। जिलाधिकारी ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानिययों के सिद्धांतों को साथ लेकर चलना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है। अंत में हिंदी भवन समिति के अध्यक्ष ललित जायसवाल जी ने नाटक के निर्देशक को रु0- 125000 सहयोग राशि का चैक भेंट किया। कार्यक्रम के अंत में मुख्य विकास अधिकारी विक्रमादित्य सिंह मलिक द्वारा हिंदी भवन समिति एवं उपस्थित गणमान्य अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर मंच का संचालन पूनम शर्मा द्वारा किया गया.