क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141

लखनऊ मासिक धर्म (पीरियड) शारीरिक प्रक्रिया है, जो प्रजनन जीवन की शुरुआत को निर्धारित करती है। सांस्कृतिक वर्जनाओं, अपर्याप्त जानकारी और किशोरियों के बीच गलत ज्ञान के कारण इसे 'अशुद्ध घटना' माना जाता है, जो उनकी दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों में अनावश्यक सीमाओं का कारण बनता है। ऐसा ही संकेत डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के शोध में मिलता है।
यहां की डा. नीतू सिंह, डा. रश्मि कुमारी, डा. दीप्ति अग्रवाल और डा. सुगंधा जौहरी ने संस्थान में प्रदेश के विभिन्न जिलों से आने वाली किशोरियों पर शोध किया। इस रिसर्च को इंडियन जर्नल आफ फैमिली मेडिसिन ने कंपैरिजन आफ अवेयरनेस एंड परसेप्शन आफ मेंसचुरल हाइजीन बिटविन प्री एंड पोस्टमेनर्चल एडोलसेंट आफ नार्थ इंडिया शीर्षक से स्वीकार किया है।
शोध के मुताबिक मासिक धर्म के दौरान 35 प्रतिशत किशोरियां डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं। केवल 53.3 फीसद लड़कियां सेनेटरी पैड का इस्तेमाल करती हैं। हाइजनिक प्रैक्टिस केवल 66.67 फीसद लड़कियां करती हैं। 85 फीसद लड़कियों पर तमाम तरह की पाबंदी रहती है। 31.7 फीसद किशोरियां स्कूल नहीं जाती हैं।
मासिक धर्म के बारे में जानकारी सबसे अधिक 49.9 फीसद को मां से मिलती है। किशोरियां भविष्य की मां हैं। उन्हें मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में पर्याप्त और सही जागरूकता की आवश्यकता है, क्योंकि इससे प्रजनन या यौन संक्रमित संक्रमण (आरटीआइ / एसटीआइ) विकसित होने के जोखिम से बचाया जा सकेगा। यह परेशानी कई महिलाओं को मां बनने में परेशानी खड़ी करता है। अन्य स्वास्थ्य पर प्रतिकूल परिणामों का कारण बनते हैं।
मासिक धर्म के दौरान में प्रैक्टिस (प्रतिशत में)
- हाइजनिक प्रैक्टिस- 66.67
- रोज स्नान- 60
- सेनेटरी पैड का इस्तेमाल-53.3
- कपड़े के पैड का इस्तेमाल-26.7
- कपड़े का इस्तेमाल-20
- दिन भर में तीन पैड बदलना-45
- स्कूल में पैड बदलने की सहूलियत-53.3
- पैड बदलने के बाद हाथ धुलना-63.3
- पैड का दोबारा इस्तेमाल-20
- जननांग की सफाई- 75
रक्तस्राव के बारे में ज्ञान (प्रतिशत में)
शारीरिक प्रक्रिया- 55
- ईश्वरीय देन-28.3
- कोई जानकारी नहीं-16.7
किस तरह पाबंदी (प्रतिशत में)
- मंदिर जाना-पूजा - 41.7
- अलग बैठना- 18.3
- घर के काम से अलग रहना- 23.3
- खेलना - 28.3
- तेज चलना या दौड़- 8.3
- स्कूल न जाना- 31.7
संजय गांधी परास्नातक आयुर्विज्ञान संस्थान के मैटरनल एंड रीप्रोडक्टिव हेल्थ (एमआरएच) विभाग की प्रो. इंदु लता साहू ने बताया कि मासिक धर्म दौरान ये सावधानी बरतें -
दुर्गंध से बचने और संक्रमण को रोकने के लिए नियमित अंतराल (चार से पांच घंटे) पर पैड बदलें।
- पैरों के ऊपरी हिस्से और जननांग (वल्वा) को सूखा रखें।
- जननांग को पानी से अच्छी तरह से धोएं, लेकिन ध्यान रखें कि जननांग के पास या अंदर किसी भी साबुन या कास्मेटिक उत्पाद का उपयोग न करें।
- हमेशा मासिक धर्म-स्वच्छता उत्पाद का उपयोग करने से पहले और बाद में हाथों को साबुन या हैंडवाश जेल से धोएं।