ज्येष्ठ मास का दूसरा प्रदोष व्रत आज

  क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता 9837117141

ज्येष्ठ मास का दूसरा प्रदोष व्रत आज



हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का खास महत्त्व होता है। यह माह की हर त्रयोदशी को रखा जाता है। इस बार ज्येष्ठ मास का दूसरा प्रदोष व्रत 12 जून को पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि को मनाया जाएगा। प्रदोष व्रत जिस दिन पड़ता है उस प्रदोष व्रत का नाम उसी दिन के नाम पर रखा जाता है। ज्येष्ठ माह का दूसरा प्रदोष व्रत  12 जून दिन रविवार को पडेगा। इसलिए इस प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष व्रत कहेंगे।

प्रदोष व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इससे भगवान शिव अति प्रसन्न होकर भक्तों के सारे कष्ट दूर करते हैं। प्रदोष व्रत से दांपत्य जीवन खुशहाल रहता है। व्रती को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।

प्रदोष व्रत तिथि

पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि 12 जून दिन रविवार को प्रातःकाल 3 बजकर 24 मिनट से शुरु होगी और 13 जून दिन सोमवार को दोपहर बाद 12 बजकर 27 मिनट पर समाप्त होगी। रवि प्रदोष व्रत 12 जून को रखा जाएगा। रवि प्रदोष व्रत के पूजन का समय 12 जून को शाम के समय है।

रवि प्रदोष व्रत पूजा– विधि 

प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके साफ कपड़ा पहनें। उसके बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित व्रत का संकल्प लें। भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें। अब भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती को पुष्प अर्पित करें तथा भोग लगाएं। अब पूजा कर अंत में भगवान शिव की आरती करें।

रवि प्रदोष व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक गांव में गरीब ब्राह्मण परिवार रहता था। उस ब्रह्मण की पत्नी प्रदोष व्रत विधिपूर्वक करती थी। एक दिन उस बेटा गांव से कहीं बाहर जा रहा था, तभी रास्ते में कुछ चोरों ने उसे घेर लिया। चोरों ने उसकी पोटली छीन ली और उससे अपने घर के गुप्त धन के बारे में बताने को कहा। बालक ने कहा कि पोटली में रोटी के अलावा कुछ नहीं है और उसका परिवार बहुत ही गरीब है, उसके घर में कोई गुप्त धन नहीं है।

चोरों ने उसे छोड़ दिया और आगे बढ़ गए। वह बालक नगर में एक बरगद के पेड़ के नीचे छाए में सो गया। तभी राजा के सिपाही चोरों को खोजते हुए वहां आए और उस बालक को ही चोर समझ कर ले जाकर जेल में बंद कर दिया।

सूर्यास्त के बाद भी जब बालक घर नहीं पहुंचा तो उसकी मां परेशान हो गई। उस दिन वह प्रदोष व्रत थी। उसने शिव पूजा के समय भोलेनाथ से प्रार्थना की कि उसका पुत्र कुशल हो, उसकी रक्षा करें। भगवान शिव ने उस मां की पुकार सुन ली। फिर शिव जी ने राजा को स्वप्न में बालक को जेल से मुक्त करने का आदेश दिया। साथ ही कहा कि वह बालक निर्दोष है, उसे बंदी बनाकर रखोगे, तो तुम्हारा सर्वनाश हो जाएगा।

अगले दिन सुबह राजा ने उस बालक को रिहा करने का आदेश दिया। बालक राजदरबार में आया और उसने पूरी घटना राजा को बताई। इस पर राजा ने उसे माता पिता को दरबार में बुलाया। ब्रह्माण परिवार दरबार में बुलाए जाने के आदेश डरा हुआ था। जैसे-तैसे वे राजा के दरबार में गए। राजा ने कहा कि आपका पुत्र निर्दोष है, उसे मुक्त कर दिया गया है। राजा ने ब्राह्मण परिवार की जीविका के लिए पांच गांव दान कर दिए।

भगवान शिव की कृपा से वह ब्राह्मण परिवार सुखीपूर्वक जीवन व्यतीत करने लगा। इस प्रकार से प्रदोष व्रत की महिमा का बखान किया गया है।

राजेन्द्र गुप्ता

ज्योतिषी और हस्तरेखाविद