क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141
गाजियाबाद. दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस-वे जमीन मुआवजे घोटाले में एक ऐसे परिवार का नाम सामने आया है, जिसकी तीन पीढि़यों के बुने जाल में अधिकारी फंसते रहे। इनमें जिले में पूर्व में तैनात रहे लेखपाल से लेकर तहसीलदार, उप जिलाधिकारी और अपर जिलाधिकारी स्तर तक के अधिकारी शामिल हैं। इस परिवार ने न केवल गलत तरीके से डीएमई के लिए परिचितों को जमीन बेचकर मुआवजा उठवाया बल्कि सरकारी जमीन पर भी वर्षों तक गलत तरीके से कब्जा किए रखा। अब जिला प्रशासन इस परिवार की और उनका साथ देने वाले अधिकारियों की कुंडली खंगालने में जुटा है, जिससे कि उनके खिलाफ कार्रवाई हो सके। ऐसे पकड़ में आया मामला: शासन ने भूमाफिया के खिलाफ कार्रवाई के लिए अभियान चलाने का आदेश दिया, जिसके बाद जिले की तहसील सदर में रसूलपुर सिकरोड़ा, मटियाला गांव के खसरा नंबरों की जांच की गई तो पता चला कि फर्जी तथ्यों के आधार पर तीन समिति गठित की गई है। जिसका उद्देश्य सीलिग अधिनियम से भूमि को बचाकर अनैतिक लाभ कमाना था, लेकिन जब डीएमई के लिए जमीन का अधिग्रहण शुरू हुआ तो समिति के सदस्यों ने फर्जी तथ्यों के आधार पर बैनामा किया।
मूलत: दिल्ली का है परिवार: दिल्ली के दरियागंज निवासी रामेश्वरदास गुप्ता ने समिति का गठन किया था, जिनमें उनके परिवार के लोग सदस्य थे। समितियों के नाम अशोक सहकारी खेती समिति, अशोक सहकारी गृह निर्माण समिति, अशोक संयुक्त सहकारी समिति हैं। डीएमई जमीन मुआवजा घोटाला के मामले में रामेश्वरदास गुप्ता का बेटा अरुण गुप्ता और अरुण गुप्ता का बेटा गोल्डी गुप्ता आरोपित हैं। तीन तरह से किया गड़बड़झाला: आरोपितों ने तीन तरह से गडबड़झाला किया है। पहले तो समिति का गठन फर्जी तथ्यों पर किया गया, जिसके बाद सरकारी अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से साठगांठ कर सैकड़ों बीघा जमीन का पट्टा समिति के नाम कराया, जबकि नियम के तहत ऐसा नहीं किया जा सकता था। इसके बाद 1999 में समिति का पंजीकरण निरस्त हो गया तो जमीन की सीलिग होनी चाहिए थी, लेकिन सीलिग अधिकारी ने यह जमीन सील नहीं की। यही वजह रही कि जिस जमीन की सीलिग हो जानी चाहिए थी, उसको डीएमई बनाने के लिए अधिग्रहीत करने की आवश्यकता पड़ी। जमीन का अधिग्रहण करने के वक्त प्रशासनिक अधिकारियों ने लापरवाही की और गलत लोगों ने मुआवजा उठा लिया। डीएमई जमीन मुआवजा घोटाले से संबंधित जांच में रामेश्वरदास गुप्ता के परिवार के सदस्यों का नाम सामने आया, जिसके बाद विस्तृत जांच शुरू की गई। अब तक चार एफआइआर दर्ज कराई जा चुकी है। इस मामले में जो अधिकारी शामिल रहे हैं, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।