क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141

लखनऊ। कैनेबिस (भांग) के औषधीय गुणों का उपयोग सदियों से किया जा रहा है लेकिन भांग के पौधे में नशे के तत्व की अधिकता होने के कारण नार्कोटिक्स ऐक्ट में भी किसानों को फसल उत्पादन की अनुमति नहीं मिलती।
क्या है नियमः नार्कोटिक्स ड्रग्स ऐंड साइकोट्रापिक सब्सटेंसेज ऐक्ट, 1985 (एनडीपीएस अधिनियम) केंद्र सरकार को बागवानी और औद्योगिक उद्देश्य के लिए भांग की खेती की अनुमति देने का अधिकार देता है। इस कानून के अंतर्गत नार्कोटिक्स विभाग साइकोएक्टिव (चेतना को उत्तेजित करने वाले तत्व) पौधों की खेती को नियंत्रित करता है। साइकोएक्टिव पदार्थों को लेने से मानव मस्तिष्क के कई तंत्र निष्क्रिय या धीमे हो जाते है। इसके अधिक उपयोग से मस्तिष्क का तंत्रिका तंत्र भी प्रभावित हो सकता है, इसलिए 0.3% से अधिक टेट्राहाइड्रो-कैनाबिनोल (टीएचसी) नामक साइकोएक्टिव कंपाउंड वाले पौधों को प्रतिबंधित रखा गया है।
एनबीआरआइ के निदेशक डा. एस के बारिक के अनुसार, हमारा लक्ष्य है कि कैनाबिस के पौधे में साइकोएक्टिव तत्व टीएचसी के स्तर को 0.3 प्रतिशत से नीचे लाकर इसे नारकोटिक्स कानून के अनुरूप कर सकें। इसके साथ ही भांग में पाए जाने वाले औषधीय गुणों वाले यौगिक कैनाबीडाल (सीबीडी) की मात्रा को बढ़ाया जा सके जिससे किसी भी किसान को इसकी खेती करने में कोई कानूनी अड़चन नहीं आए।
पिछले तीन वर्षों से एनबीआरआइ कैनबिस पर अनुसंधान कर रहा है। अब तक तीन प्रजातियों को अनुसंधान के लिए चुना गया है। शोध के तहत विज्ञानी लखनऊ के साथ उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और कुछ अन्य जगहों पर भी खेती कर रहे हैं। एनबीआरआइ के प्रधान विज्ञानी डा. सत्यनारायण जेना के अनुसार, कैनाबिस की गुणवत्ता में मिट्टी और वातावरण का काफी प्रभाव पड़ता है। जिससे उसमें साइको एक्टिव कंपाउंड के स्तर को स्थिर रखना मुश्किल हो जाता है। हमारी कोशिश है कि एक बेहतर प्रजाति विकसित कर नशे के तत्व घटाकर औषधीय गुणों (कैनाबिडाल) की मात्रा को बढ़ाया जा सके।
डा. बारिक के अनुसार, इसकी खेती के लिए एक ही प्रजाति के बीज का उपयोग करना आवश्यक है। इसकी फसल के बीजों में क्रास-पालिनेशन ( हवा या कीटों के जरिये पराग का एक से दूसरे पौधे में जाना) की क्षमता काफी अधिक होती है। टीएचसी की मात्रा कम और सीबीडी की मात्रा को बढ़ाने के लिए इसके नए बीज आइसोलेशन खेती से ही तैयार किये जा सकते हैं।
कहां कहां उपयोग
- कैनाबिस के औषधीय तत्वों को दवाओं से लेकर सौंदर्य प्रसाधन सामग्री में उपयोग किया जाता है।
- इसके तने से बनाया जाने वाला फाइबर सबसे मजबूत फाइबर में से एक है। इससे जूते, गाड़ियों के डैश बोर्ड, रस्सी, शर्ट और टाइल्स तक बनाई जा रही हैं।
- कैनाबिस की औषधि से दर्द निवारक इंजेक्शन और तेल तैयार किए जाते हैं। इसके तेल का उपयोग मुंहासे, एक्जिमा और सोरायसिस जैसी बीमारियों को ठीक करने में किया जा रहा है।
- इसकी औषधि से मोटापा और मिर्गी की बीमारी को इलाज भी किया जा सकता है।