क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141
Sankashti Chaturthi 2022: हिंदू कैलेंडर के मुताबिक हर मास शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में दो बार चतुर्थी तिथि पड़ती है। दोनों ही चतुर्थी तिथि भगवान श्री गणेश की पूजा के लिए समर्पित होती है। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। इस बार संकष्टी (कृष्णपिङ्गल) चतुर्थी शुक्रवार 17 जून 2022 को पड़ रही है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा के साथ ही चंद्रमा दर्शन पूजा का विशेष महत्व होता है। चंद्रदर्शन के बिना संकष्टी चतुर्थी का व्रत अधूरा माना जाता है।
संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त (Sankashti Chaturthi Shubh Muhurt)
संकष्टी चतुर्थी व्रत- 17 जून 2022 दिन शुक्रवार को रखा जाएगा।
चतुर्थी तिथि प्रारंभ- 17 जून 2022 सुबह 6:11 बजे।
चतुर्थी तिथि समाप्त- 18 जून 2022 पूर्वाह्न 2:59 बजे।
चंद्रोदय- चांद का उदय रात 10 बजकर 03 मिनट पर होगा। लिहाजा व्रतियों को व्रत का पूजन करने के लिए देर रात तक प्रतीक्षा करनी होगी।
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (Sankashti Chaturthi Puja Vidhi)
संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह स्नान आदि करके साफ वस्त्र धारण किया जाता है। इसके बाद भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है। पूजन के दौरान भगवान श्री गणेश को तिल, गुड़, लड्डू, दूर्वा और चंदन चढ़ाएं। इसके बाद भगवान श्री गणेश की स्तुति और मंत्रों का जाप किया जाता है। इस दिन जो लोग व्रत करते हैं। शाम के समय चंद्रमा निकलने से पहले श्री गणेश जी की पूजा करें, व्रत कथा कहें व सुनें। इसके बाद चंद्रमा को जल देकर श्री गणेश का भोग निकालें और व्रत खोलें।
गणेश स्तुति मंत्र (Ganesh Stuti Mantra)
ॐ श्री गणेशाय नम:।
ॐ गं गणपतये नम:।
ॐ वक्रतुण्डाय नम:।
ॐ हीं श्रीं क्लीं गौं ग: श्रीन्महागणधिपतये नम:।
ॐ विघ्नेश्वराय नम:।
गजाननं भूतगणादि सेवितं, कपित्थ जम्बूफलसार भक्षितम्।
उमासुतं शोक विनाशकारणं, नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम्।