मधुर हो जाती हैं (कविता)


क्लू टाइम्स
,
सुरेन्द्र कुमार गुप्ता 9837117141
 

किराये के संगीत पर
कोवे की कांव कांव भी
मधुर हो जाती हैं.

किराये के मुखोटे से
सपाट चेहरे की पहचान भी
मधुर हो जाती हैं.

कहें दीपक बाबू पर्दे के दृश्य से
कभी दिल न लगाना
किराये के अभिनय से
ख़्वाबों की सोच जिन्दगी सच से
कुछ पल के लिए ही
मधुर हो पाती हैं.