क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141
उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीएसआईडीए) ने अपने बोर्ड की मंजूरी के बाद संशोधित नीति को कार्येत्तर अनुमोदन के लिए सरकार को भेज दिया है। साथ ही राज्य कैबिनेट की अनुमति की प्रत्याशा में इसे तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। गाजियाबाद में लगभग 200-300 एकड़ अनुपयोगी पड़े बड़े भूखंड पर छोटे भूखंड बन कर दूसरे उद्यमियों को उपलध हो सकेंगे।

यूपी में निवेश प्रोत्साहन व नई औद्योगिक इकाइयों के विस्तार के लिए औद्योगिक भूखंडों के उप विभाजन की बहुप्रतीक्षित नई नीति (संशोधित) को मंजूरी दे दी गई है। उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीएसआईडीए) ने अपने बोर्ड की मंजूरी के बाद संशोधित नीति को कार्येत्तर अनुमोदन के लिए सरकार को भेज दिया है। साथ ही राज्य कैबिनेट की अनुमति की प्रत्याशा में इसे तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। गाजियाबाद में लगभग 200-300 एकड़ अनुपयोगी पड़े बड़े भूखंड पर छोटे भूखंड बन कर दूसरे उद्यमियों को उपलध हो सकेंगे।
प्राधिकरण के एक अधिकारी ने यहां बताया कि बोर्ड ने ऐसे भूखंडों के उप विभाजन की अनुमति का फैसला किया है, जिन पर कम से कम चार वर्ष से औद्योगिक इकाई संचालित है। कुछ मामले में शर्तों के साथ छूट का भी प्रावधान है। यदि उप-विभाजित क्षेत्र 25 एकड़ तक है तो इसके लिए गठित समिति की सिफारिश पर प्राधिकरण के सीईओ मंजूरी देंगे। यदि उप-विभाजित क्षेत्र 25 एकड़ से अधिक है, तो इसे प्राधिकरण बोर्ड मंजूरी देगा।
प्राधिकरण ने नीति में उपखंड के लिए आवेदन की शर्तें, आंतरिक विकास, स्थानांतरण की प्रक्रिया, विभाजित भूखंड बेचने की शर्तें, रखरखाव कार्य, उप-विभाजित भूखंड पर इकाई के संचालन के लिए समय की अनुमति, उप प्रभार शुल्क, उप विभाजन शुल्क, उपविभाजित भूखंडों के कॉन्फ़िगरेशन व सेटबैक संबंधी प्रावधान भी किए हैं। इस नीति से सक्रिय औद्योगिक इकाइयों के विस्तार, उपलब्ध अतिरिक्त भूखंड के औद्यगिक उपयोग के साथ उद्यमी परिवारों में तेज उद्यम विस्तार की राह खुलने की उम्मीद है।
नीति के मुख्य प्रावधान