क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141
नुनवान (जम्मू-कश्मीर)। Amarnath Yatra 2022 | हर हर महादेव - जय शिव शंकर के नारे लगाते हुए भगवान भोलेनाथ के भक्त उनके दर्शन करने के लिए अमरनाथ की यात्रा के लिए निकल गये हैं। 30 जून को देर रात यात्रा के लिए पहला जत्था रवाना हुआ। कहते हैं भगवान शिव ने अमरनाथ में सालों तक तपस्या की थी। यहा मां पार्वती ने शक्ति के रूप में आने के लिए कड़ी परीक्षा दी थी। शिव और पार्वती के मिलन का प्रतीक है अमरनाथ! शिव के भक्तों के लिए यह पावन धरती है इसी कारण कड़ी चढाई के साथ अमरनाथ की गुफा के दर्शन के लिए श्रद्धालू आते हैं।
अमरनाथ यात्रा से पहले, उधमपुर जिले में काली माता मंदिर के पास जम्मू श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग, मंथल पर सुरक्षा कड़ी कर दी गयी। कई बार धर्मिक स्थलों को आतंकियों की तरफ से निशाना बनाने की कोशिश की जाती रही हैं। इस लिए 2 साल बाद फिर से शुरू हुई यात्रा को लेकर काफी सतर्कता बरती जा रही हैं। जम्मू-कश्मीर एलजी मनोज सिन्हा ने जम्मू बेस कैंप से अमरनाथ यात्रा तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को रवाना किया। यात्रा 30 जून से शुरू हुई। तीर्थयात्री दो साल के अंतराल के बाद 30 जून से शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा से पहले जम्मू पहुंचते हैं। एक तीर्थयात्री ने कहा कि "हम बाबा भोलेनाथ की पूजा करने के लिए 2 साल से इंतजार कर रहे थे, उनके दर्शन के लिए जाते वक्त बहुत खुशी हो रही है।
नुनवान आधार शिविर से 2,750 तीर्थयात्रियों के एक जत्थे के दक्षिण कश्मीर हिमालय में स्थित गुफा मंदिर के लिए रवाना होने के साथ ही वार्षिक अमरनाथ यात्रा 30 जून को शुरू हो गई। उपायुक्त पीयूष सिंगला ने अनंतनाग जिले के पहलगाम में नुनवान आधार शिविर से तीर्थयात्रियों के जत्थे को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। सिंगला ने बताया कि 43 दिवसीय तीर्थयात्रा का सुचारू संचालन सुनिश्चित करने के लिए सभी इंतजाम किए गए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ हमारी कोशिश यह सुनिश्चित करना है कि तीर्थयात्री सुरक्षित महसूस करें और शांतिपूर्वक तरीके से मंदिर की पवित्र गुफा में शिवलिंग के दर्शन कर पाएं।’’ जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बुधवार सुबह जम्मू शहर के भगवती नगर आधार शिविर से वार्षिक अमरनाथ यात्रा के लिए 4,890 तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को कश्मीर के पहलगाम और बालटाल आधार शिविरों की यात्रा के लिए रवाना किया था। अधिकारियों ने बताया कि श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) ने प्राकृतिक रूप से बने बर्फ लिंगम के ऑनलाइन दर्शन करने की व्यवस्था भी की है। उन्होंने कहा कि इस साल तीर्थयात्रियों की संख्या सामान्य से अधिक होने की उम्मीद है क्योंकि यह यात्रा करीब तीन साल के अंतराल के बाद आयोजित की जा रही है। गौरतलब है कि वर्ष 2019 में केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 के अधिकतर प़्रावधान को रद्द करने के बाद यात्रा बीच में ही स्थगित कर दी गई थी, जबकि वर्ष 2020 और 2021 में कोविड-19 वैश्विक महामारी की वजह से यात्रा का आयोजन नहीं किया गया था। अमरनाथ यात्रा 11 अगस्त को रक्षा बंधन के अवसर पर समाप्त होगी।