क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141

श्रीनगर। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शुक्रवार को महाराजा गुलाब सिंह राज्याभिषेक समारोह की 200वीं वर्षगांठ समारोह में सम्मिलित हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि आज से ठीक 200 साल पहले 17 जून, 1882 में यहां से कुछ दूर अखनूर में चिनाब दरिया के किनारे एक दरख के नीचे जम्मू की रियासत की बुनियाद महाराजा गुलाब सिंह के राज्याभिषेक के साथ रखी गई। उन्होंने कहा कि उस दिन राज्याभिषेक कार्यक्रम में खुद शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह मौजूद थे और उनकी मौजूदगी में ही गुलाब सिंह जी को राजा बनाया गया था।
इसी बीच उन्होंने कहा कि 1947 में भारत के विभाजन के समय जम्मू और कश्मीर की रियासत के विलय से पहले ही गैरकानूनी तरीके से एक बड़े इलाके को हथिया लिया गया, आज भी पाक अधिकृत कश्मीर और गिलगित बाल्टिस्तान का इलाका पाकिस्तान के गैरकानूनी कब्जे में है। जिन इलाकों को जम्मू और कश्मीर की रियासत में महाराजा गुलाब सिंह ने जोड़ा था, उस पर पाकिस्तान अपना दावा करता है।
PoK और गिलगित बाल्टिस्तान हैं भारत का अभिन्न अंग
उन्होंने कहा कि 1962, 1966, 1972, 1973 में जो पाकिस्तान का आईन बनाया गया, उस पर कभी भी गिलगिल बाल्टिस्तान को पाकिस्तानी हिस्से के रूप में दर्ज नहीं किया गया। जबकि हमारा एक ही संविधान है, जिसमें साफ-साफ लिखा है कि पाक अधिकृत कश्मीर और गिलगित बाल्टिस्तान भारत के अभिन्न अंग हैं और संसद के दोनों सदनों में प्रस्ताव भी सर्वसम्मत से पारित हुए हैं।
रक्षा मंत्री ने कहा कि जम्मू और कश्मीर के डोगरा शासकों ने यह सुनिश्चित किया कि इलाका हमेशा से भारत के साथ जुड़ा रहे। यदि विलय होने के बाद जम्मू और कश्मीर के साथ सौतेला व्यवहार न किया गया होता तो जो यहां अलगाववादी ताकतें थीं, उन्हें कभी मजबूती न मिली होती। इसी बीच उन्होंने कहा कि भारत को आजादी हासिल होने के चंद महीने बाद ही जम्मू और कश्मीर में प्रजा परिषद पार्टी का गठन हुआ और उन्होंने ही बाद में नारा दिया कि देश में दो विधान, दो निशान और दो प्रधान नहीं चलेंगे, नहीं चलेंगे।
उन्होंने कहा कि 26 नवंबर, 1952 को प्रजा परिषद के कद्दावर नेता प्रेमनाथ जी डोगरा ने एक बड़ा आंदोलन खड़ा किया था और जगह-जगह उन्होंने सत्याग्रह भी किया। प्रजा परिषद का आंदोलन राष्ट्रीय स्वरूप ले लेता है जब जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने मार्च 1953 में कश्मीर आंदोलन से जुड़ने का निर्णय लिया था। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर की बेहतरी के लिए 7 दशक तक आंदोलन किया। हमने अपने नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी और कार्यकर्ताओं को भी खोया है।