क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141
Mudiya Purnima 2022 : मुड़िया पूर्णिमा पर संत सनातन गोस्वामी के चित्र की भव्य झांकी बग्गी में विराजमान कर मानसी गंगा की परिक्रमा करते हुए मुड़िया संतों ने चकलेश्वर से शोभायात्रा प्रारंभ की। इस दौरान जगह-जगह लोगों ने शोभायात्रा पर पुष्पवर्षा करते हुए स्वागत किया। इस शोभायात्रा को देखने के लिए देशभर से श्रद्धालु गोवर्धन पहुंचे।
Mudiya Purnima 2022 : मुड़िया पूर्णिमा मेले के तहत बुधवार को ढोल, मंजीरे और मृदंग की थाप पर गोवर्धन में मुड़िया संतों की ऐतिहासिक शोभायात्रा निकाली गई। मुड़िया संतों नाचते-गाते शोभायात्रा निकाल कर 464 वर्ष पुरानी परंपरा का निर्वहन किया। वाद्य यंत्रों की धुन पर मुड़िया संतों ने श्रीपाद सनातन गोस्वामी के डोले के साथ नगर में भ्रमण किया। इस दौरान जगह-जगह लोगों ने शोभायात्रा पर पुष्पवर्षा करते हुए स्वागत किया। जैसे ही मुड़िया संत चकलेश्वर महादेव की पूजा के लिए पहुंचे तो काली घटाओं के साथ उमड़े मेघों ने तेज गर्जना की। यह शोभायात्रा श्री राधा श्याम सुंदर मंदिर से महंत रामकृष्ण दास महाराज के सानिध्य में निकाली गई। शोभायात्रा को देखने के लिए यूपी के साथ राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश और बिहार के लाखों श्रद्धालु पहुंचे।
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर बुधवार को गोवर्धन के मुड़िया मेले में आस्था और परंपरा का अद्भुत संगम दिखाई दिया। वाद्य यंत्रों के साथ हरिनाम संकीर्तन की गूंज से गिरिराजजी तलहटी गुंजायमान हो उठी। गुरु के सम्मान में सिर मुंडवाए मुड़िया संत ढोलक और झांझ-मंजीरे की धुन पर नाच रहे थे। इस दौरान मुड़िया संतों का जगह-जगह पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया। चकलेश्वर महादेव मंदिर में मुड़िया संत पूजा को पहुंचे तो अचानक आसमान में काली घटाएं घिर आईं और उमड़े मेघों ने तेज गर्जना के साथ शोभायात्रा का स्वागत किया। राधा-श्याम सुंदर मंदिर से सुबह 10 बजे शुरू हुई मुड़िया शोभायात्रा दसविसा, हरिदेवजी मंदिर, दानघाटी मंदिर, डीग अड्डा, बड़ा बाजार, हाथी दरवाजा होते हुए शुभारंभ स्थल पर पहुंचकर संपन्न हुई। इस दौरान मुड़िया संत हरिनाम संकीर्तन के साथ नृत्य करते हुए निकले तो उनके आगे हर शीश नतमस्तक हो गया।
गुरु पूर्णिमा पर शिष्यों ने ली दीक्षा
गोवर्धन में मुड़िया पूर्णिमा के नाम से विख्यात गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह 7 बजे से 9 बजे के मध्य शिष्य और गुरु की परंपरा का निर्वहन किया गया। शिष्यों ने गुरु से दीक्षा लेकर गुरु पूजन किया। इसके बाद गुरु शिष्य परंपरा का उदाहरण बनी मुड़िया शोभा यात्रा निकाली गई.
गोवर्धन गिरिराज जी की परिक्रमा का महत्व और मान्यता
बता दें कि धार्मिक मान्यता के अनुसार, आषाढ़ पूर्णिमा को मुड़िया पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। सनातन गोस्वामी का 1615 में निधन हो गया था, जिसके बाद उनके शिष्यों ने परंपरा का निर्वाह कर अपने सिर मुंडवाए और गुरु के पार्थिव शरीर के साथ गोवर्धन की परिक्रम लगाई। सनातन गोस्वामी के निर्वाण की उस तिथि से आज तक इस परंपरा को निभाया जा रहा है। कहा जाता है कि मुड़िया पूर्णिमा पर गोवर्धन गिरिराजजी की परिक्रमा करने से श्रद्धालुओं को चमत्कारी लाभ हुए थे, जिसके बाद से यह परिक्रमा प्रचलित हो गई। अब मुड़िया पूर्णिमा पर गोवर्धन गिरिराजजी की परिक्रमा करने वाले लोगों की संख्या एक करोड़ को पार कर जाती है।