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पारंपरिक भोजन ही सर्वर्वश्रेष्ठ है-प्रो.करुणा चांदना
गाजियाबाद, आशीष वाल्डन, वीरवार 14 जुलाई 2022, केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "पारंपरिक भोजन व डिब्बा बंद भोजन में तुलना" विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कोरोना काल में 417 वाँ वेबिनार था।
मुख्य वक्ता प्रो.करुणा चांदना ने कहा कि आज की दौड़ भाग की जिंदगी में डिब्बा बन्द भोजन अत्यधिक प्रचलित हो गया है लेकिन इसके काफी नुकसान भी है।दुनिया भर में आधुनिक डिब्बाबंद भोजन ने पारंपरिक भोजन को लुप्त करके वैश्विक क्रांति मचा दी है ऐसे परिवेश में खाद्य उद्योग ने भोजन को बच्चों का खेल बना दिया है।क्योंकि हाइपर मार्केट्स,सुपर मार्केट, रिलायंस फूड बाजार में अनाजों की विशेष रुप से नाश्ते के अनाजों की इतनी अट्रैक्टिव कलरफुल वैरायटी उपलब्ध है बच्चों के लिए भी 2 मिनट 2 मिनट मैगी,यप्पी नूडल्स कुरकुरे लेस चिप्स हक्का नूडल्स ,रेडी टू ईट तथा रेडी टू कुक सीरियल्स उपलब्ध है इसके अलावा फूड एप्स जैसे जमेटो,स्विग्गी,डाइन आउट ने तो एक क्लिक ऑफ माउस में खाना हमारे टेबल पर पहुंचा दिया है वह दिन गए जब ग्रहणी को रसोई में घंटों लगाकर काटना,पीटना भिगोना पीसना भाप देना तड़के लगाना पड़ता था उसे भी इन जंजीरों से राहत मिल गई है। वैसे भी आधुनिक युग में प्रिंट मीडिया टीवी एप्स सोशल मीडिया का हम सब पर इतना असर है कि जब युवा और बच्चे टीवी एड्स में स्मार्ट मॉडर्न मॉडल्स को मफिंस,बैंगल्स, डोनट्स, फ्रेंच फ्राइज मैकडॉनल्ड बर्गर,डोमिनो पिज़्ज़ा चॉकलेट ब्रांड्स को यह कहते हुए सुनते हैं कि यह सब हेल्दी,टेस्टी और कन्वीनियंस है तो वह इन खाद्य पदार्थों की ओर खिंचे चले जाते है। डिब्बाबंद तथा पैकेट वाले भोज्य पदार्थों का इतना अधिक चलन हो गया है कि इन खाद्य पदार्थों से ईश्वर तथा प्रकृति द्वारा उत्पादित मूल तत्व मूल तत्व रसायनिक क्रिया द्वारा खत्म हो जाते हैं या फिर खाद्य पदार्थों की ओरिजिनल प्रकृति बदल के सिंथेटिक खाद्य पदार्थों का निर्माण किया जाता है या दूसरे शब्दों में आप कह सकते हैं कि भोजन को प्रोसेस किया जाता है यद्यपि इससे भोजन का स्वाद
तथा शेल्फ लाइफ बढ़ जाती है पर सबसे बड़ी विडंबना है कि भोजन प्राण तत्व खत्म हो जाते हैं यानी इस तरह का भोजन हमारे लिए डेड भोजन बन जाता है।
न्यूट्रिशन साइंस की रिसर्च के आधार पर सदियों से हमने मां, दादी,नानी के घर के बने भोजन का भावनात्मक समर्थन किया है अब साइंस भी इसका समर्थन कर रही है क्योंकि हमारे इन मूलभूत अनाजों में मीठा, नमकीन कड़वा ,खट्टा ,कसैला सब तरह के रस उपलब्ध है जिसको खाकर मीठे की क्रेविंग खत्म हो जाती है क्योंकि हमारी भारतीय जुबान ओट्स,मूसली,मोमोज स्प्रिंग रोल्स पिज़्ज़ा इन सब के लिए नहीं बनी बल्कि हम ऐसे खाने के लिए पहले अपने देश को अर्जित करते हैं फिर यह बाद में एडिक्शन बन जाती है और इस तरह के खाने जब हम स्वाद स्वाद में ज्यादा खा जाते हैं तो हमारा शरीर लाइफस्टाइल डिजीज इज की तरफ अग्रसर हो जाता है जैसे बीपी,शुगर,अर्थराइटिस,हार्ट डिजीज इज एजिंग जैसी बीमारियां आजकल युवा पीढ़ी में आने लगी हैं और युवा मोटापे का भी शिकार होने लगे हैं क्योंकि उनकी कोई भी एक्सरसाइज नहीं है इंडोर गेम्स खेलते हैं तथा दूसरा रिफाइंड फ्लोर से बने हुए जंक फूड खाते हैं जबकि हमारा हित अनुवांशिक रूप से अनुपालन करने में है।जैसा कि आजकल मीडिया कमर्शियल फूड्स की प्रोमो करने में लगा हुआ है कि यह फूड हेल्दी कन्वीनियंस है तो क्या अपने चिंतन किया कि यह कन्वीनियंस हमारी हेल्थ की कॉस्ट पर है वास्तव में यह सारे जंक फूड है जो न्यूट्रीशन की गुणवत्ता को खत्म कर रहे हैं और स्लो प्वाइजन की तरह हमारी हेल्थ को बिगाड़ रहे हैं और हमारी जड़ों को खोखला कर रहे हैं क्योंकि इनमें प्रिजर्वेटिव्स, आर्टिफिशियल कलर्स,फ्लेवरिंग एजेंट्स,डले हुए होते हैं आखिर में मैं कहना चाहूंगी कि हमें अपने पारंपरिक भारतीय नाश्ते तथा अनाजों को चुनना चाहिए जैसे डोसा इडली,दाल चावल ,खिचड़ी उपमा,साबूदाना खिचड़ी,भुने चने, मुरमुरा,मखाना एक तो इन से भरपूर प्रोटीन मिलता है दूसरा जब यह सब्जियों के साथ मिलाते हैं और हरी चटनी के साथ हैं तो विटामिन मिनरल्स मिलने के साथ साथ टेस्ट भी एक्टिव हो जाती हैं और बहुत अच्छा डाइजेशन होता है फिर इन अनाजों को जब हम घर के देसी घी या सफेद मक्खन के साथ तड़का देते हुए मसाले डालते हैं जैसे हल्दी अदरक लहसुन लॉन्ग दालचीनी आदि आदि तो इनसे हमें एंटीबायोटिक एंटीवायरल एंटीऑक्सीडेंट आदि प्राप्त होते हैं जिससे हमारी इम्यूनिटी बढ़ती है और इसके साथ साथ एचडीएल भी बढ़ता है तो ग्लोबलाइजेशन की अंधी दौड़ मे स्वाद के पीछे ना भागकर पौष्टिक गुणवत्ता पर ध्यान दें पौष्टिक गुणवत्ता पर ध्यान दें और अपनी प्राचीन वैदिक संस्कृति के साथ पुनः जुड़ जाएं।
मुख्य अतिथि अर्चना सरीन व अध्यक्ष कमलेश चांदना ने भी विचार रखे।परिषद अध्यक्ष अनिल आर्य ने संचालन किया व राष्ट्रीय मंत्री प्रवीणआर्य ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।
गायिका प्रवीना ठक्कर, दीप्ति सपरा,उर्मिला आर्य,कमला हंस, जनक अरोड़ा, कुसुम भंडारी, ईश्वर देवी, सरला बजाज,रविन्द्र गुप्ता आदि के मधुर भजन हुए ।