नींद की बेवफाई

क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता 9837117141

अक्सर नींद बेवफाई कर बैठती है ।ऐसे में दिन में घटे घटनाक्रम चलचित्र की भाँति आँखों के समक्ष घूमने लगते हैं।

नाम की साम्यता भ्रम की स्थिति उत्पन्न कर देती है । अनेक वर्ष पूर्व सांसद अनिता आर्य थी उनको अनुसूचित मोर्चा या अनुसूचित आयोग की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया  गया तो अपने वरिष्ठ बंधु सरदार एस पी सिंह जी मिले तो बधाई देने लगे ।तब हमने उनका भ्रम दूर करते हुए बताया कि हम तो अनिला सिंह आर्य हैं और वो अनिता आर्य हैं। 

इसी प्रकार तीन वर्ष पूर्व एक बहन संगठन में प्रदेश प्रवक्ता बनी ।अपनी कुछ हितैषी बहनों का फोन आया बधाई का ।हम तो तुरंत समझ गये कि वो नाम के चक्कर में फंस गयीं हैं। अतः उनके भ्रम  को तोड़ते हुए उनकी शंका को समाप्त किया ।

दो तीन दिन से पुनः प्रिय बंधुओं द्वरा वही बधाई की प्रक्रिया अपनाई ।पहले की भाँति इस बार भी उनको सच्चाई से अवगत कराया ।और बताया कि भाई  वो अनिलासिंह बेहद खूबसूरत बहन हैं संयोग वश हम दोनों के नामों में समानता है ।

समानता नाम के आधार पर फेसबुक से नम्बर लेकर गत वर्ष  नोयडा से जिलाध्यक्ष और एक और बंधु ने किसी  काम के लिए बात करी ।यही  नहीं  वो घर पर भी आ गये  जबकि  हम उस समय गाजियाबाद  सैनिक भवन के  कार्यक्रम में  थे ।

उनका भी भ्रम  तोड़ा। और हम हैं कि अपने नाम की  व्याख्या कुछ  इस तरह करते हैं। 

अनिला से ला हटाओ तो अनिला रह जाया है जो ना का द्योतक है, अ हटाओ तो नीला रंग बन जाता है,ल से आ का डंडा हटे तो पुल्लिंग हो जाता है और हवा का झोंका भी बन जाता है, नि से इ की मात्रा हटाओ तो अनल बन अग्नि का पर्याय होकर स्वाहा करने के लिए प्रेरित होता है। संक्षेप में कहें तो हममें वायु अग्नि, जल का समावेश है। 

कहने  वाले कहते हैं कि नाम में  क्या रखा है गुलाब को बेला कहने से क्या खुशबू बदलती है।

लेकिन सत्ता में शासन बदलते ही नाम पट्टिका ही नहीं इमारत,सड़क  व शहर के नाम बदल जाते हैं 

खैर छोड़िए बाहर घोर अंधेरा है ।हाथ को हाथ नहीं दिखाई दे रहा ।बिजली महारानी पता नहीं क्यों रुष्ट है। नींद को मनाएँ या उजाले को समेटें।बाहर के अंधेरे के लिए विकल्प हो जाते हैं. और अंदर के अंधेरे के लिए कौनसा दीपक लाएं ।

रूठने और मनाने में कहीं सुबह न हो जाए।

कोशिश करते हैं कि आँखे बोझिल होकर नींद से बंद हो जाएँ।

डा. अनिला आर्य