क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141
ये भरता पानी
रास्ता खोजता पानी ।
दिन को रात बनाता बादल ।
परिंदों की उड़ान रोकता बादल।
वो कागज की नाव खो गई ।
वो बारिश में भीगती उम्र खो गयी।
जगमग जुगनू की रोशनी लोप हो गयी ।
बारिश में नहायी प्रकृति खो गई ।
भागदौड़ में फुर्सत जीवन की कहाँ गयी ।
न वो पेड़ आम,अमरूद इमली के हैं ।
न मैदान में छोटे छोटे ताल तलैया हैं ।
न छोटे- छोटे मेंढकों की टर्र-टर्र है।
बारिश में बस्ते से सर ढांपता अब
वो छप-छप करता बचपन कहाँ हैं।
नीम की टहनी पर पड़ा झूला कहाँ है ।
आम की टहनी पर लटकता बचपन कहाँ है।