क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141
मोदीनगर. एक अनार सौ बीमार, उपभोक्ता और उत्पादन में अनुपात का न होना, नकली दूध खपत कितनी भी हो, यह सब जन्म दर की अधिकता के नतीजे हैं। चूंकि पेट को भूख सताती है तब अनाज, फल, सब्जी, दूध के बाद मांसाहारी बनता है, फिर एक समय वो भी आता है जब आदमी आदमखोर बन जाता है।
और हम पुनः पीछे पहुँचने की स्थिति में आकर पाषाणकाल में पहुँचते हैं।
यही सृष्टि का उतार-चढ़ाव है जिसमें कहते हैं इतिहास स्वयं को दोहराता है।
आज आदमी आदमी को खाता तो नहीं लेकिन मरने के इतने कारक बना देता है कि न तो मरता ही है न जीता ही है