क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141
अंगूठे से अग्नि, तर्जनी से वायु, मध्यमा से आकाश, अनामिका से पृथ्वी और कनिष्का से जल तत्व का संचार सदैव रहता है। पंचाक्षर में पांच अक्षर भी इन पांच तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं। न अग्नि, मः वायु, शि आकाश, वा पृथ्वी और य जल तत्व के प्रतिनिधि हैं। इसलिए आप नमः शिवाय का जाप करते समय सबसे पहले ‘‘न’’ का मन ही मन उच्चारण करें, उस समय अंगूठे पर तर्जनी अंगुलि का प्रेशर डालें, फिर ‘‘मः’’ का उच्चारण करते समय तर्जनी अंगुलि पर अंगूठे का प्रेशर डालें, ‘‘शि’’ के उच्चारण के दौरान अंगूठे का प्रेशर मध्यमा अंगुलि पर, ‘‘वा’’ के उच्चारण के समय अंगूठे से अनामिका पर प्रेशर बनाएं और ‘‘य’’ के उच्चारण के दौरान अंगूठे से कनिष्का अंगुलि पर प्रेशर डालें।
फिर ‘‘ॐ’’ का उच्चारण करते हुए हाथ को इस प्रकार पूरा खोल लें। निरंतर ऐसा करते रहने से आपके शरीर में पांच तत्वों के बीच सामन्जस्य बना रहेगा। शरीर का जो भी तत्व असंतुलित है, वह इस प्रकार के प्रेशर से शरीर की शक्ति को पुनः जागृत कर देगा। जब पांचों तत्व शरीर में संतुलित होंगे तो काया निरोगी रहेगी।
मानसिक और शारीरिक कोई भी बीमारी तभी होती है जब शरीर में पांच में से किसी तत्व का बैलेंस खराब हो जाता है। हमारे शरीर में आकाश तत्व मस्तिष्क में, अग्नि तत्व कंधे में, वायु तत्व नाभी में, पृथ्वी तत्व घुटनों में और जल तत्व पांवों के नीचले भाग में स्थित हैं। नमःशिवाय के उच्चारण के साथ अंगुलियों पर प्रेशर होने से ये पांचों तत्व सदैव संतुलित रहेंगे। इससे आपकी काया तो निरोगी रहेगी ही साथ ही आपमें पॉजिटिव एनर्जी बनी रहेगी।