क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141
हरिही ॐ हरीही
सोहमस्मि इति वृत्ति अखंडा, दीप सिखा सोई परम प्रचंडा। आतम अनुभव सुख सुप्रकासा,तब भव मूल भेद भ्रम नासा।
कोई चाहे कितना ही भी महान क्यों ना हो जाए , पर माया(प्रकृति) कभी भी किसी को महान बनने का मौका नहीं देती ।। कंठ दिया कोयल को , तो रूप छीन लिया ।। रूप दिया मोर को , तो ईच्छा छीन ली ।। दी ईच्छा इन्सान को , तो संतोष छीन लिया ।। दिया संतोष संतको , तो संसार छीन लिया ।। दिया संसार चलाने देवी-देवताओं को , तो उनसे भी मोक्ष छीन लिया ।। दिया मोक्ष उस निराकार को , तो उसका भी आकार छीन लिया ।। मत करना कभी भी अभिमान, अपने आप पर 'ऐ जीव मनुष्य इन्सान' , मेरे प्रभु ने तेरे और मेरे जैसे ना जाने कितने ही मिट्टी से बना के मिट्टी में ही मिला दिये ।। अतः अनवरत सत्य सनातन विचार ।।
* जासु विरह सोचहुँ दिन राती।।
रटहुं निरन्तर गुन गन पाती।। *